शनिवार, 5 दिसंबर 2020

भारतीय विशेषज्ञों ने नियमों को साझा किया

भारतीय विशेषज्ञों ने टीका विज्ञान के नियमों को किया साझा


नई दिल्ली। कोरोना वायरस के टीके को लेकर भले ही परीक्षण अंतिम चरण में पहुंच चुका हो लेकिन पिछले कुछ समय में सामने आई दो प्रतिकूल घटनाओं पर अब तक सरकार की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं मिला है। कोरोना को लेकर पहली बार केंद्र सरकार के विशेषज्ञों ने सार्वजनिक रूप से टीका विज्ञान के बारे में जानकारी दी।
शुक्रवार को वेबिनार के दो घंटे के जरिए स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर और ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया के शीर्ष अधिकारियों ने टीका विज्ञान के तहत परीक्षण को लेकर निगरानी तक पर चर्चा की लेकिन इस दौरान जब देश की दो प्रतिकूल घटनाओं को लेकर सवाल किए गए तो उन्होंने स्पष्ट तौर पर बोलने से इनकार कर दिया। 
वेबिनार के दौरान आईसीएमआर की वरिष्ठ डॉक्टर शीला गोडबोले ने प्रेजेंटेशन के जरिए टीका के प्रभाविकता के बारे में बताया। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी डॉ. भंडारी ने कहा कि यह वेबिनार टीका विज्ञान की प्रक्रिया को समझाने के लिए है। इसमें प्रतिकूल घटनाओं को लेकर जानकारी नहीं दी जा सकती।
वेबिनार के दौरान ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया डॉ. वीजो सोमानी ने बताया कि टीका विज्ञान को लेकर देश में अब तक सभी नियम-कानूनों का पालन किया जा रहा है। सबसे पहले टीका का परीक्षण जानवरों पर किया जाता है। इसके बाद पहले चरण के परीक्षण में देखा जाता है। कि इंसानों के शरीर में एंटीबॉडी मिल रही है। या नहीं। 
इसके बाद दूसरे चरण के परीक्षण में एंटीबॉडी कितने समय तक रहने की स्थिति का पता लगाया जाता है। और तीसरे चरण के परीक्षण में यह पता लगाया जाता है। कि टीका कितना असरदार है। इसके बाद लाइसेंस की प्रक्रिया शुरू होती है। तो आखिर में पोस्ट मार्केटिंग स्टडी के आधार पर परीक्षण होता है।
परीक्षण में शामिल होेने वाले व्यक्ति को फॉर्म दिया जाता है। जिसमें सभी तरह के नियम और प्रतिकूल की आशंकाओं के बारे में जानकारी होती है। अगर कोई प्रतिकूल घटना होती है। तो एक महीने के अंदर उसकी जानकारी निचले स्तर से होते हुए ड्रग कंट्रोलर तक पहुंचाते हैं। 
परीक्षण के दौरान हुईं ये दो प्रतिकूल घटनाएं
भारत बायोटेक की ओर से स्वदेशी टीका बनाने पर काम किया जा रहा है। अगस्त माह में पहले चरण के परीक्षण के दौरान एक व्यक्ति में प्रतिकूल प्रभाव दर्ज किए गए थे। हालांकि इसके बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई थी।
सीरम इंस्टिट्यूट के तीसरे चरण के परीक्षण में एक अक्तूबर को चेन्नई निवासी व्यक्ति ने टीका लगवाया और 11 अक्तूबर को सुबह साढ़े पांच उसे तेज सिरदर्द शुरू हुआ। हालांकि इसको लेकर भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई।
अब तक 12 करोड़ रुपये का दिया हर्जाना
डॉ. सोमानी ने बताया कि कोरोना से पहले तक देश में काफी संख्या में मानव परीक्षण होते आए हैं। हर परीक्षण में शामिल व्यक्ति को अगर प्रतिकूल घटना होती है। तो संबंधित कंपनी की ओर से भरपाई की जाती है। अब तक 12 करोड़ रुपये अलग-अलग परीक्षणों के दौरान दुष्प्रभावों के शिकार व्यक्तियों के परिवारों को मिल चुका है।                 


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