लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमों मायावती को उत्तर प्रदेश में फिर से सत्ता प्राप्त करनी है। इसके लिए वह हरसंभव प्रयास कर रही हैं। उन्होंने गठबंधन से लेकर एकला चलो की भी रणनीति अपनाई और उनके नतीजों को देखकर संगठन में बदलाव भी किया है। प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। उनका राजनीतिक अनुभव भी पर्याप्त है। अभी कुछ दिन पहले ही प्रदेश में विधानसभा की सात सीटों पर उपचुनाव संपन्न हुए थे। इस उपचुनाव में सभी प्रमुख दलों ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। बसपा ने भी अपनी पुरानी रणनीति छोड़कर उपचुनाव में जोर-आजमाइश करनी शुरू कर दी है। उपचुनाव में सात में से 6 सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा और एक सीट सपा को मिली। कांग्रेस और बसपा को एक भी सीट नहीं मिल पायी। बसपा सिर्फ एक सीट पर ही दूसरे स्थान पर रही। दलित राजनीति के विश्लेषक अशोक चैधरी के अनुसार बसपा में मतदाताओं के एक तबके का उससे मोहभंग हो रहा है और पुनर्विचार शुरू हो गया है। चौधरी कहते हैं कि अभी ऐसे मतदाता पूरी तरह भले ही कांग्रेस के साथ नहीं गये लेकिन उसे एक विकल्प के रूप में देख रहे हैं। इसीलिए बसपा प्रमुख अपने संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने में युद्ध स्तर पर जुटी हैं।
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