मंगलवार, 24 नवंबर 2020

शहर में वेश्यावृत्ति का बना टॉप होटल

शहर में वैश्यावृत्ति का दलदल बना होटल “ऑल इज वेल”


कलक्टरगंज। शहर के कई होटलों में ऐसे कई घटनाक्रम बंद कमरों में रोज घटित हो रहे हैं जो संभवतः कभी बाहर ही नहीं आ पाएंगे।थाना कलक्टरगंज स्थित कोपरगंज का होटल, जो बना हुआ हैं वैश्यावृत्ति का दलदल। होटल ऑल इज़ वेल के एसी कमरे रेड कारपेट पर रोज करते हैं कई इंसानी भेड़ियों का स्वागत। कई रंग बदलते हैं और कई रूप, लेकिन नहीं बदलता तो वो है। इन वहशी दरिंदों और होटल संचालकों की सांठ-गांठ का ढंग।महज 2 से ढाई घंटों के लिए बुक होने वाले इन एसी कमरों में क्या होता है, यह प्रशासन भी बखूबी समझता है। कब होगी होटल ऑल इज वेल पर सख्ती या जारी रहेगी ये वैश्यावृत्ति?  आज हम 21वीं सदी के उस दौर में आ पहुंचे हैं जहां पर महिला उत्पीड़न और यौन शोषण के मामले हर सरकार के रहते हुए भी हर दिन के साथ बढ़ते नजर आ रहे हैं। जिसको लेकर चुनाव के वक्त राजनीति भी खूब गर्माती है तो कई दल खुद दुष्कर्म के आरोपियों को टिकट से लेकर संरक्षण देने का काम भी किया करते हैं। इन सबके बीच नई पैकिंग के साथ पुरानी योजनाओं को लॉन्च किए जाने का सिलसिला भी जारी रहता है जिनमें निर्भया फंड, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी अनेक योजनाएं शामिल हैं लेकिन धरातल पर इसका भी कुछ खास असर दिखाई नहीं पड़ता।


देश की आधी आबादी के साथ उत्पीड़न, छेड़खानी, यौन शोषण और दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों से आए दिन अखबार और टीवी चैनल पटे रहते हैं लेकिन क्या कोई भी कभी इन खबरों के अंदर की गहराई तक पहुंचने का प्रयास करता है। यकीन मानिए यह जितने भी मामले दर्ज होते हैं, वास्तविकता में इनकी संख्या 10 गुने से भी ज्यादा है। वर्तमान में टीनएजर्स में इन मामलों की संख्याबल अत्यधिक है लेकिन यह कभी सामने नहीं आ पाते। कानपुर शहर में भी कई ऐसे घटनाक्रम बंद कमरों में रोज घटित हो रहे हैं जो  संभवतः कभी बाहर ही ना आ पाएंगे। आपको जानकर हैरानी होगी कि कानपुर शहर के कई होटल वैश्यावृत्ति के दलदल में हर दिन के साथ धसते चले जा रहे हैं जिनमें एक नाम थाना कलक्टरगंज स्थित कोपरगंज के होटल ऑल इज वेल का है। जो आसानी से 15-21 वर्ष की आयु के टीनेजर्स को अपना शिकार बना रहे हैं। मासूम और नाबालिग बच्चियां कहिए या टीनएजर्स जिनमें हार्मोनल चेंजेज के साथ हो रहे शारीरिक परिवर्तन के बीच जारी आकर्षण को होटल ऑल इज़ वेल के एसी कमरे रेड कारपेट पर स्वागत करते हैं। शहर में इंसानी मुखौटा पहने कुछ दरिंदे होटल आल इज वेल के एसी कमरों में टीनएजर्स के साथ जीने-मरने की कसमें खाते हैं और अपनी हवस का शिकार बनाते हैं। कई रंग बदलते हैं और कई रूप, लेकिन नहीं बदलता तो वो है इन वहशी दरिंदों और होटल संचालकों की सांठ-गांठ का ढंग।
महज 2 से ढाई घंटों के लिए बुक होने वाले इन एसी कमरों में क्या होता है, यह प्रशासन भी बखूबी समझता है लेकिन अफसोस तो तब होता है कि जब मां की दुलारी और पापा की एक और परी का ख्वाब टूटता है और वहशी दरिंदे से उसका नाता छूटता है। कसमों-वादों के साथ बहला-फुसलाकर देश के भविष्य को वैश्यावृत्ति का शिकार बनाने वाला दरिंदा निकल पड़ता है अपने अगले शिकार की ओर जो कमजोर होती हैं वो ढह जाती हैं, जो हिम्मत दिखाती हैं वो सह जाती हैं, तो कई जिंदगी के इस बीच सफर में ही पीछे छूट जाती हैं।


इस पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़े कसूरवार है ऑल इज़ वेल जैसे होटल जो मात्र अपनी गाढ़ी कमाई के लालचवश इन दरिंदों का पूरा साथ देते है…. जो मासूम बच्चियों का चारित्रिक हनन होने देते हैं…. जो अपने एसी कमरों को वैश्यावृत्ति का अड्डा बनाते हैं… सेटिंग-गेटिंग के तहत संचालित हो रहे इन होटलों पर अगर लगाम नहीं लगी तो इसी प्रकार से ये होटल कई घरों की मासूमों को अपना शिकार बनाते रहेंगें।           


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