शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

सफेद कद्दू की बुआई, सिंचाई एवं पैदावार

सफेद कद्दू , पेठा कद्दू या सिझकुम्हरा ये कद्दू की ही एक प्रजाति है। ये बेलों पर फलती है। आपने आगरा के पेठे का नाम तो सुना हीं होगा, इसे चखने का मौका भी मिला होगा। आगरे का पेठा भारत के साथ पूरी दुनिया भर में मशहूर है


अतः इसकी मांग भारत के साथ दुनियाँ के विभिन्न देशों में है। यह हलके रंग का होता है, तथा लंबे और गोल आकार में पाया जाता है। इसका इस्तेमाल ज्यादातर पेठा बनाने में किया जाता है। इस फल के ऊपर हलके सफेद रंग की पाउडर जैसी परत चढ़ी होती है, जिसे छूने से हाथों में सफेद चुना जैसा लग जाता है। इसका उपयोग पेठा, बड़ी(अदौरी) तथा सब्जी में भी किया जाता है। यह भारतीय फसल है, इसकी खेती मुख्यरूप से उत्तर-प्रदेश में की जाती है। वहाँ के किसान इसे जुए की फसल मानते हैं। अच्छी कीमत मिल गई तो 1 बीघे में ही बहुत अच्छी कमाई हो जाती है। अन्यथा नुकसान का भी खतरा बना रहता है।


जलवायु और भूमि:- अच्छी फसल के लिए तापमान 18 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट के साथ शीतोष्ण और समशीतोष्ण जलवायु उत्तम मानी जाती है। अधिक या कम तापमान इसके पैदावार प्रभावित कर सकता है, लेकिन इसे उगाए जाने में कोई समस्या नहीं है। इस फसल को जल निकास वाली जीवांश युक्त हर प्रकार वाली मिट्टी पे उगाया जा सकता है। दोमट और बलुई मिट्टी उपयुक्त है, पी एच मान 5.5-7 उत्तम है।


खेत की तैयारी:- इस फसल को उगाने के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से की जानी चाहिए। इसके बाद 3-4 जुताई आवश्यक है, जो कल्टीवेटर से करें। देशी हल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। मिट्टी को भुरभुरी बनाने के बाद पाटा लगाकर खेत को समतल बना लें।


सफेद कद्दू(पेठे) की बुआईसिंचाई एवं पैदावार


खेत की तैयारी:- इस फसल को उगाने के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से की जानी चाहिए। इसके बाद 3-4 जुताई आवश्यक है, जो कल्टीवेटर से करें। देशी हल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। मिट्टी को भुरभुरी बनाने के बाद पाटा लगाकर खेत को समतल बना लें।


बुआई:- अगर किसान अगैती खेती करना चाहता है तो खेत खाली होते ही गहरी जुताई करा दे। एक गहरी जुताई के पश्चात किसान 15 मई तक खेत की पलेवा कर दें। पानी लगाने के बाद खेत 5 दिनों के अंदर 20 मई तक पेठा की बुआई कर दे। दो-दो हाथ की दूरी पर निशान बना लेते हैं जिससे लाइन टेढ़ी न हो। इसी दूरी पर लम्बाई और चौड़ाई के अंतर पर गोबर की खाद का घुरवा बनाते हैं, जिसमे कुम्हड़े के सात से आठ बीज रोप देते हैं, अगर बाद में तीन चार पौधे छोड़कर बचे उसे उखाड़ कर फेंक दिया जाता हैं। ध्यान रखें की लाइन सीधी रहे।


सिंचाई:– बुआई के एक सप्ताह बाद पहला पानी और पहले पानी के 15 दिन बाद दूसरा पानी लगाते हैं। बारिश हो गयी तो फिर पानी लगाने की जरूरत नहीं रहती।


रोग और कीट रोकथाम:- इस फसल में फफूंदी जनित रोग अधिक लगते हैं। इससे बचने के लिए 2 gm बविस्टिन या कैप्टान 1 लीटर पानी में घोलकर 10-15 दिनों के अंतराल पर छिड़कते रहना चाहिए। कद्दू की फसल को अन्य रोग से बचाने के लिए एंडोसल्फान 25 ई सी 1.5 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर 700-800 लिटर पानी में घोलकर 10-15 दिनों के अंतराल पर दें।


तुड़ाई और पैदावार:- यदि आप सब्जी के लिए खेती करते है, तो ज्यादा पकने ना दे और महीने में दो तुड़ाई कर के बाजार ले जाए, पेठा के लिए थोड़ा पकना जरूरी है। उचित विधि के अनुसार खेती करने के बाद कद्दू की पैदावार 275 -350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए, जिससे किसान अच्छी लाभ कमा सकतें हैं।                   


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you, for a message universal express.

यूपी: लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे अखिलेश

यूपी: लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे अखिलेश  संदीप मिश्र  लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके ...