सोमवार, 30 नवंबर 2020

आंदोलन की सफलता सरकार की असफलता

राणा ओबराय


किसानों का दिल्ली कूच सफल होना, क्या केन्द्र व हरियाणा सरकार की नाकामयाबी का है परिणाम


चंडीगढ। जिस दिन से केंद्र सरकार ने कृषि कानून को लेकर तीन अध्यादेश जारी किए हैं। उसी दिन से किसानों और सरकार के बीच में संघर्ष शुरू हो गया है। इसी कानूनों का विरोध करते हुए केंद्र सरकार में मंत्री पद पर आसीन हरसिमरत कौर ने इस्तीफा भी दे दिया था। इसी तरह पंजाब, हरियाणा, यूपी के किसानों ने कृषि बिलों का विरोध करना जारी रखा। हम यह मान सकते हैं, कि हरियाणा के बड़ौदा में हुए विधानसभा उपचुनाव में किसानों के विरोध के कारण ही सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी के उम्मीदवार को हार का मुंह देखना पड़ा था। परंतु फिर भी हरियाणा सरकार नहीं जागी! पहले से ही जब किसानों ने घोषणा कर रखी थी कि वह 26 नवंबर को दिल्ली कूच करेंगे। उन्होंने दिल्ली पहुंचने के लिए हर तरह का साधन व राशन तथा पानी अपने साथ मोहिया करा लिया है। परंतु किसानों को सरकार का विरोध करना देखना पड़ेगा ऐसा किसानों ने सोचा भी नहीं था। हरियाणा सरकार ने दिल्ली जा रहे किसानों को रोकने के लिए भरपूर प्रयास किए परंतु आखिरकार किसान दिल्ली पहुंच ही गया। प्रदेश के बुद्धिजीवी लोग यह कर रहे हैं की हरियाणा की खट्टर सरकार ने किसानों को रोकने के लिए सड़कों में गड्ढे बड़े-बड़े पत्थर आदि क्यों लगवाए। क्या किसान शांति पूर्वक मार्च नहीं कर रहे थे। यदि सरकार ने सोच ही लिया था कि किसानों को दिल्ली नहीं जाने देना तो उसके लिए और भी कई तरीके सरकार के पास थे। पहले तो सरकार को किसानों से धैर्य पूर्वक बात करनी चाहिए थी। जो कि सरकार की कार्यप्रणाली का एक हिस्सा है। परंतु सरकार ने कूटनीति का प्रयोग ना करके बल नीति का प्रयोग किया जिसका पूरे उत्तर भारत में विरोध देखने को मिल रहा है। बुद्धिजीवियों का कहना है कि केंद्र औऱ हरियाणा सरकार किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए हर मोर्चे पर फेल हुई है। क्योंकि सरकार की सीआइडी मतलब खुफिया तंत्र ने सरकार को किसानों के मंसूबे की पहले से सही जानकारी क्यों नही दी तांकि सरकार जानकारी के हिसाब से तैयारी करती! इसका सीधा अर्थ है की सरकार औऱ उसका तंत्र पूरी तरह से नाकामयाब रहा है? लोग तो यह भी कह रहे हैं की केंद्र सरकार के आदेश पर हरियाणा सीएम खट्टर तो कोरोना बीमारी का बहाना बना कर किसानों को रोकना चाहते थे?बहरहाल किसी न किसी तरीके से यूपी, पंजाब व हरियाणा का किसान दिल्ली पहुच चुका है। अब केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह तुरंत प्रभाव से किसानों से बातचीत करें किसानों को उनके नही छीने जायेगे ऐसा आश्वासन दे। क्योकि सर्दी में यदि हजारों लोग सड़कों पर समूह के रूप में रहेंगे तो कोरोना जैसी वैश्विक महामारी व अन्य किसी बीमारी का शिकार हो सकते हैं।                         


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