गुरुवार, 1 अक्तूबर 2020

वैक्सीन में चाहिए सार्क के लिवर का तेल

मानवजाति को कोरोना से बचाने बड़ी संख्या में चढ़ानी पड़ेगी शार्कों की बलि, वैक्सीन के निर्माण में उनके लीवर से मिलने वाले तेल का होगा इस्तेमाल।


अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई में शार्क को बड़ी मात्रा में बलि दी जाने वाली है। एक अनुमान के अनुसार, मानव जाति के लिए  पर्याप्त मात्रा में कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए करीबन 5 लाख शार्क का कत्ल करना पड़ेगा। इससे तय हो गया है कि कोरोना केवल इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि अन्य जीव-जंतुओं के लिए भी मौत का संदेश लेकर आया है। सभी वैक्सीन में सुरक्षा के लिए लिहाज से एडजावुंट नाम का एक तत्व होता है, लैटिन में जिसका अर्थ ‘मदद’ होता है, जिससे वैक्सीन की प्रतिरोधक क्षमता को और सुदृढ़ होती है। इस एडजावुंट की मदद से वैक्सीन अतिरिक्त एंटीबॉडी निर्मित करता है, जो उपभोक्ता को रोग के खिलाफ लड़ने में ज्यादा मदद करता है। तमाम तरह के एडजावुंट में से एक स्कॉवालिन है, यह प्राकृतिक तेल शार्क के लीवर में हुआ करती है। इस स्कॉवालिन को हासिल करने के लिए शार्क की हत्या करनी पड़ती है। एक टन स्कॉवालिन को हासिल करने के लिए 3000 शार्क को मारने की जरूरत होती है। कैलिफोर्निया, अमेरिका में सक्रिय शार्कएलाइज  संरक्षण समूह ने चेतावनी दी है कि दुनिया के सभी लोगों को कोविड19 के एक डोज के निर्माण के लिए करीबन 2.5 लाख शार्क की हत्या करनी पड़ेगी, और यदि दो डोज देना पड़ा तो करीबन 5 लाख शार्क को मारना पड़ेगा। हालांकि, स्कॉवालिन अन्य जानवरों के भी लीवर में पाया जाता है, लेकिन इस नैसर्गिक कंपाउंड के लिए व्यावसायिक तौर पर मुख्य स्रोत शार्क का ही इस्तेमाल किया जाता है। संरक्षणवादियों के एक अनुमान के अनुसार, कॉस्मेटिक्स, मशीन ऑयल और अन्य उत्पादों में स्कॉवालिन की जरूरत को पूरा करने के लिए हर साल करीबन 30 लाख शार्क को मारा जाता है। संरक्षणवादियों को भय है कि वैक्सीन के वृहद पैमाने पर निर्माण की वजह से न केवल शार्क की आबादी को खतरा पैदा हो जाएगा, बल्कि उनकी पूरी प्रजाति पर खतरा मंडराने लगेगा, क्योंकि इनमें प्रजनन जल्दी नहीं होता है। यही नहीं स्कॉवालिन से परिपूर्ण गुल्पर शार्क और बास्किंग शार्क की आबादी पहले ही खतरनाक तौर पर कम हो चुकी है, ऐसे में और हत्या किए जाने से इनका दुनिया से सफाया ही हो जाएगा। हालांकि, शार्क के प्रजातियों की संरक्षण के लिए वैज्ञानिक गन्ना के खमीरीकरण से निर्मित सिंथेटिक स्कॉवालिन के निर्माण की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं, लेकिन जिस तरह से कोरोना फैल रहा है, और जिस शिद्दत से वैक्सीन की जरूरत महसूस हो रही है, उसमें आशंका इसी बात की है कि अनुमानित संख्या से कहीं ज्यादा शार्कों की कुर्बानी देनी पड़ेगी।             


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