रविवार, 4 अक्तूबर 2020

सरकार घोषित करें जीरो ईयरः विद्यार्थी

 बच्चों को स्कूल भेजें या नहीं, अधिकतर का कहना है सरकार घोषित करे ज़ीरो इयर


अश्वनी उपाध्याय


गाज़ियाबाद। जिले के अधिकतर अभिभावक इस साल अपने बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है। अभिभावकों का कहना है कि इस सत्र को ज़ीरो सत्र घोषित कर दिया जाना चाहिए और बच्चों को अगली क्लास में प्रमोट कर दिया जाए। वहीं प्रदेश सरकार की ओर से 15 अक्टूबर के बाद स्कूल खोले जाने की बात कही गई है। हालांकि इसके लिए अभिभावकों की सहमति आवश्यक है। जबकि अभिभावकों का कहना है कि रोजाना सामने आ रहे कोरोना के मामले चिंता बढ़ा देने वाले हैं इसलिए उन्हें स्कूल भेजने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। अभिभावकों का कहना है कि भले ही पेरेंट्स की लिखित अनुमति जरूरी हो लेकिन स्कूलों की तरफ से फीस मांगने का दबाव स्कूल खुलते ही बढ़ जाएगा। जबकि बहुत सारे पेरेंट्स ऐसे हैं। जो अभी पिछला बकाया देने में असमर्थ हैं। क्योंकि कोरोना ने आर्थिक तंगी बढ़ा दी है। पेरेंट्स ने कहा कि स्कूल में बच्चे डिस्टेंसिंग मेंटेन नहीं कर पाएंगे।  ज्यादातर बच्चे अपना लंच दूसरे बच्चों से शेयर कर लेते हैं जो खतरनाक साबित हो सकता है। हालांकि, इस पर सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि लंच शेयर करने और कॉपी किताब आदि शेयर करने पर पूरी तरह से रोक होगी जिस पर स्कूल का स्टाफ निगरानी भी रखेगा। बता दें कि सभी पेरेंट्स किसी न किसी आरडब्ल्यूए का हिस्सा है इसलिए आरडब्ल्यूए में भी इस मुद्दे को उठा रहे हैं।
नौवीं से बारहवीं तक के स्कूलों पर विचार। सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन के मुताबिक नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों को अल्टरनेट क्लास प्रणाली पर स्कूल भेजने पर विचार हो रहा है। किसी अभिभावक पर कोई दबाव नहीं होगा कि वह बच्चों को स्कूल भेजें। बता दें कि ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी।                 


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