सोमवार, 5 अक्तूबर 2020

पत्रकार एकजुट हो कराएं चौथे स्तंभ का एहसास

सभी पत्रकार एकजुट होकर करायें चौथे स्तंभ का आभास जेसीआई


संदीप मिश्र


लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के प्रकरण में खासतौर पर महिला पत्रकारों के साथ हुई अभद्रता का संज्ञान लेते हुए जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंड़िया ने चौथे स्तंभ के महत्व को लेकर चिंता जाहिर की। जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने कहा कि पत्रकार ने हमेशा समाज को सच का आइना दिखाने का काम किया है। सरकार और समाज के बीच की सबसे मजबूत कडी पत्रकार ही है। और निष्पक्ष पत्रकारिता से ही समाज और सरकार के सामने सच्चाई को उजागर करता है। देश का चौथा स्तम्भ।
मगर वर्तमान समय मे सबसे उपेक्षित आज देश का चौथा स्तम्भ ही है। सुविधाओं के नाम पर हमेशा सबसे पीछे दिखाई देता है। अध्यक्ष ने देश के सभी मीडिया संगठनों और पत्रकारों से एकजुट होकर देश के चौथे स्तंभ का आभास कराने का आवाह्न किया। उन्होने कहा कि आज पत्रकारों की दुर्दशा का जिम्मेदार और कोई नहीं बल्कि स्वयं पत्रकार ही है। और इसका एकमात्र कारण है। उनका एकजुट न होना। आज बडे बैनरों के पत्रकारों को छोड दें तो छोटे और मध्यम वर्गीय बैनरों के पत्रकारों को इतना वेतन भी नहीं मिलता कि वह अपने परिवार का भरण पोषण आसानी से कर सके। अगर ग्रामीण क्षेत्रों के पत्रकारो की बात करें तो उन्हें तो पर्याप्त मानदेय भी नहीं मिलता । ऐसे में सच्चाई को उजागर करना कितनी बडी चुनौती होती है। पत्रकार के सामने इसका एहसास केवल पत्रकार ही कर सकता है। लेकिन फिर भी अपनी निजी समस्याओं को नजरअंदाज कर दिन रात सच्चाई को समाज के सामने लाने का प्रयास करता है। एक पत्रकार।क्योंकि समाज को आज भी देश के चौथे स्तंभ पर ही भरोसा है। कि वह ही सच का आइना दिखायेगा। आज समाज का चौथा स्तम्भ कितना कमजोर हो चुका है। इसका भी एहसास है। पत्रकार को लेकिन फिर भी अपनी कलम के माध्यम से सच को सामने लाने का प्रयास करता है। जब भी कभी बात होती है। तो सरकार हमेशा मान्यता प्राप्त पत्रकारों के बारे में कुछ घोषणायें करके इतिश्री कर लेती है। और एक श्रमजीवी पत्रकार अपने आपको हमेशा ठगा महसूस करता है। आज डिजिटल मीडिया का दौर आ गया हर किसी को पल भर मे ही देश के किसी भी कोने में हुई घटना की जानकारी मिल जाती है। लेकिन डिजिटल मीडिया सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आता ही नहीं इसकी जानकारी किसी को नहीं l इस पर सरकार भी चुप्पी साधे बैठी है यही कारण है। कि कभी कभी फेक समाचार भी इतना वायरल हो जाता है कि अगले दिन घटना की सही जानकारी मिलती है। सरकार डिजिटल मीडिया को लेकर अभी तक कोई ठोस नीति नहीं बना पाई है। और डिजिटल इंडिया का नारा देने बाली मोदी सरकार भी इसको लेकर कोई ठोस कदम नही उठा रही जिसके चलते चौथा स्तंभ लगातार कमजोर होता दिखाई दे रहा है। अब समय आ गया है। कि देश के सभी पत्रकार एकजुट होकर देश मे चौथे स्तंभ का एहसास करायें। अपनी मूलभूत मांगे जो अत्यंत आवश्यक हैं। उन्हे पूरी करायें। देश के सभी पत्रकारों को सूचीबद्ध किया जाये डिजिटल मीडिया को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत लाकर इसका भी एमआईवी और आरएनआई की तरह रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया हो। पत्रकारों को सुविधाएं बिना किसी भेदभाव के एक समान मिलें और किसी भी पत्रकार पर मुकदमा दर्ज होने से पूर्व उसकी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा जांच हो। जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया की बैठक मे सभी उपस्थित पत्रकारों ने इसका एकजुट होकर सर्मथन किया।                   


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