शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020

निर्माण साइटो पर एंटी-स्मॉग गन लगाना जरूरी

 कंस्ट्रक्शन साइटों पर एंटी-स्मॉग गन लगाना जरूरी नहीं तो होगी कार्रवाई।


संदीप मिश्र


लखनऊ। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने राज्य में डेवलपर्स को चेतावनी दी है। कि यदि उनके शहरों में निर्माण स्थल बिना एंटी-स्मॉग गन के पाए गए तो तुरंत कार्रवाई शुरू की जाएगी। सर्दियां आने से पहले यूपीपीसीबी द्वारा कंस्ट्रक्शन साइटों की जांच की जा रही है। क्योंकि इस दौरान प्रदूषण का स्तर अपने चरम पर होता है।
एंटी-स्मॉग गन 50 मीटर की ऊंचाई तक एटमाइज्ड वाटर (पानी की छोटी-छोटी बूंदें) का छिड़काव करती है। जिससे कृत्रिम धुंध पैदा होती है। जो हवा से फैलने वाले प्रदूषकों से चिपककर उन्हें नीचे जमीन पर लाने का काम करती है। यह डिवाइस हवा में पैदा होने वाले धूल के कणों को सड़कों की सतह पर लाने में मददगार है।
यूपीपीसीबी के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा। शहरों में जहां-जहां निर्माण जारी है। हम उन स्थलों का निरीक्षण करेंगे और अगर हमने पाया कि नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) ने पहले से ही सभी डेवलपर्स को अपने संबंधित निर्माण स्थलों विशेष रूप से नोएडा में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए एंटी-स्मॉग गन लगाने को कहा है।
सितंबर में यूपीपीसीबी ने डेवलपर्स को सभी साइटों पर एंटी-स्मॉग गन लगाने की याद दिलाया था। ताकि वायु प्रदूषण के स्तर की जांच हो सके। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आर.के. तिवारी ने जिला अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था। कि डेवलपर्स इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां न उड़ाएं।                 


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