मंगलवार, 6 अक्तूबर 2020

हाईस्कूल और इंटर में कम हो गए परीक्षार्थी

गोरखपुर-बस्ती मंडल में हाईस्कूल और इंटर में कम हो गए परीक्षार्थी गोरखपुर। बस्ती मंडल में हाईस्कूल और इंटर में कम हो गए परीक्षार्थी।


सोमनाथ सोनकर


लखनऊ। यूपी बोर्ड परीक्षा 2021 में गोरखपुर-बस्ती मंडल में हाईस्कूल में 11379 छात्र तो वहीं इंटरमीडिएट में 16540 छात्रों की संख्या घट गई है। विभाग और विशेषज्ञ इसे कोरोना का प्रभाव और देहात क्षेत्र में दसवीं पास कर चुके छात्रों का रुझान रोजगारपरक तकनीकी शिक्षा के प्रति बढ़ने को मान रहे हैं। हालांकि, परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए विभाग छात्रों को लगातार तीसरी बार एक और मौका देने की योजना बना रहा है।यूपी बोर्ड प्रशासन ने 9 जून से पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। कोरोना की स्थिति को देखते हुए पंजीकरण की अंतिम तिथि में दो बार 5 अगस्त और फिर 10 सितम्बर का इजाफा हुआ। लेकिन नतीजा सुखद नहीं है। विभाग का कहना है। कि अगर पंजीकरण की तिथि बढ़ाकर छात्र-छात्राओं को और अवसर नहीं प्रदान किया गया होता तो यह संख्या काफी कम हो सकती थी। अब एक और मौका देने की बात चल रही है।
बस्ती जिले का उदाहरण लें तो 2019 में हाईस्कूल में 42017 ने पंजीकरण कराया था। जबकि इस साल 2020 में यह संख्या बढ़कर 42167 हो गई है। इंटर में जहां पिछले साल 34711 ने पंजीकरण कराया था। वहीं इस साल यह संख्या 34138 पर सिमट कर रह गई है। वहीं महराजगंज में स्थिति उलट है। वहां हाईस्कूल में महज 72 छात्र घटे हैं तो इंटर में रिकार्ड 3970 परीथार्थियों की संख्या पिछले साल की अपेक्षा बढ़ गई है।
सर्वाधिक गिरावट गोरखपुर जिले में हुई है। यहां 2019 के मुकाबले हाईस्कूल में 11961 छात्र घट गए हैं। वहीं इंटर में पिछले साल की अपेक्षा इस बार परीक्षार्थियों की संख्या में 5837 छात्रों की कमी आई है।
रोजगारपरक शिक्षा के प्रति बढ़ रहा झुकाव डीआईओएस डॉ. ब्रजभूषण मौर्या कहते हैं। कि इधर कुछ साल से खासकर देहात क्षेत्र के दसवीं पास युवा सबसे पहले आईटीआई और उसके बाद पॉलीटेक्निक को तवज्जो दे रहे हैं। घर वालों और उनका मानना होता है। कि जितना जल्दी रोजगार मिल जाए, वही बेहतर होता है। इंटर में छात्रों की संख्या घटने के पीछे यह भी एक महत्वपूर्ण बिंदु है। कहते हैं। कि कोरोना काल को देखते हुए बोर्ड परीक्षार्थियों को पंजीकरण के लिए अवसर प्रदान करते हुए दो बार अंतिम तिथि बढ़ाई गई थी। बावजूद इसके पिछले साल की तुलना में संख्या में कुछ अंतर है। कोरोना का प्रभाव है। परीक्षार्थियों की संख्या में कमी राष्ट्रपति शिक्षक पदक पुरस्कार विजेता डॉ. सर्वेष्ट मिश्रा कहते हैं। कि ऑनलाइन परीक्षा फार्म भरे जाने के चलते अधिकतर छात्र घर से बाहर निकले ही नहीं। या फिर यूं कहें कि एहतियातन उनके माता-पिता ने उन्हें घर से बाहर निकलने ही नहीं दिया। दूसरी वजह यह भी हो सकती है। कि अभी भी ग्रामीण इलाकों के छात्र ऑनलाइन फार्म भरने का तरीका नहीं जानते हैं। वहां साइबर कैफे भी नहीं होते हैं।


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