सोमवार, 5 अक्तूबर 2020

बैंक की राजनीति का हिस्सा, बिलों का विरोध

वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है। किसान बिलों का विरोध जनरल (रि) वी. के सिंह


नई दिल्ली। केंद्र सरकार में राज्य मंत्री व गाज़ियाबाद के सांसद पूर्व जनरल वीके सिंह ने कहा कि हाल में देश की संसद और राज्य सभा से पारित हुए किसानों से जुड़े बिल का विरोध केवल वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि जो विपक्ष आज किसान बिलों को लेकर विरोध कर रहा है। देश की संसद में पेश किए जाने के दौरान उसने किसी तरह की आपत्ति नहीं जतायी। उन्होंने कहा कि इन दोनों बिलों से किसान को निश्चित तौर से लाभ होगा और जो मंडियों में आढ़ती आदि किसानों का शोषण करते थे। वह भविष्य में नहीं कर पाएंगे। किसान हिंदुस्तान के किसी भी हिस्से में अपने सामान को बेच सकते है। उन्होंने कहा कि जिस वक्त केंद्र में मोदी सरकार सत्ता में आयी थीं।तभी से उसका उद्देश्य देश के अन्नदाता को उसकी उपज का उचित मूल्य दिलाना है। जनरल सिंह ने कांग्रेस तथा दूसरे दलों का नाम लिए बगैर कहां कि विपक्षी दल देश के किसानों को गुमराह करने का काम कर रहे है। दोनों बिल किसानों को आत्म निर्भर बनाने से जुडे हुए है। उन्होंने कहा कि किसानों की सुविधा के लिए देश भर में मंडी बनी लेकिन दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति ये है। कि सबसे अधिक मंडी शुल्क पंजाब में साढे़ आठ फीसदी है। जबकि सबसे कम मंडी शुल्क गुजयरात में है।
सवालों के जबाव में केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि सहयोगी अकाली दल को भी डर लगने लगा था। कि यदि उसके द्वारा इन बिलों का विरोध नहीं किया जाता है। तो उसकी जमीन खिसक जाएंगी। उन्होंने दावे के साथ कहा कि मंडी व्यवस्था खत्म नहीं होगी। बल्कि मंडी के स्टाफ को शिफ्ट किया जा रहा है। इन नए बिलों के मंजूर होने के बाद मार्केट में व्यापारी बढेंगे और इसका किसान को लाभ मिलेगा। किसानों की आय डबल करने के उद्देश्य से ही मधु मक्खी पालन पर भी जोर दिया जा रहा है। जो देश में कृषि का बजट एक वक्त 12 हजार करोड़ था। उसे बढ़ाते हुए दस गुणा किया गया है। बांस का पेड़ पहले चीन से आयात किया जाता था। जबकि अब हिंदुस्तान के गांवों में बांस के पेड़ लगाने को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इन विधेयक में यहां तक व्यवस्था दी गई है। कि जो किसान अपने खेत को किराए पर देते है। खेत की फसल का मूल्य एग्रीमेंट में उल्लेख करना होगा। एग्रीमेंट के बाद मोल भाव नहीं किया जा सकेगा। एग्रीमेंट केवल फसल तक ही सीमित रहेगा। जमीन पर इसके बाद चर्चा नहीं की जा सकेगी। देश के किसानों को बिलों के प्रति जागरूक करने का पूरे देश में कार्य आरंभ किया गया है। उन्होंने सवालों के जबाव में कहा कि गन्ना किसानों को एक वक्त में पांच से आठ साल अपनी फसल के पैसे के लिए इंतजार करना पडता था। जबकि अब ऐसा नहीं है। कुछ बदमाश चीनी मिल संचालक है। उन पर नियंत्रण के लिए सरकार कदम उठा रही है। जहां तक यूपी की कानून व्यवस्था का सवाल है। योगी सरकार के द्वारा सुधार के कदम उठाए जा रहे है। संवाददाता सम्मेलन के दौरान बीजेपी नेताओं ने हाथरस प्रकरण पर ये कहते हुए चुप्पी साध ली की एजेंसियों के द्वारा पड़ताल की जा रही है। इस दौरान महापौर आशा शर्मा, मुरादनगर से विधायक अजीत पाल त्यागी, साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा, महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा आदि मौजूद रहे।               


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