सरायपाली। ग्राम पंचायतों में सरपंचों व सचिवों द्वारा शासकीय राशियों की बंदरबाट व भ्रष्टाचार किया जाता है यह न किसी अधिकारी , जनप्रतिनिधियों व प्रशासन से छिपा है। ग्रामीण क्षेत्रो में जनसुविधाओं को बढ़ाने निर्माण व विकास कार्यो के लिए शासन द्वारा करोड़ो रूपये ग्रामपंचायतों को प्रदान किया जाता है जिसमे से मुश्किल से 40 से 50 प्रतिशत ही कार्य होता है बाकी शेष रकम कमीशनखोरी व बंटवारे में निकल जाता है। भ्र्ष्टाचार को सार्वजनिक करने वाले मीडिया से जुड़े पत्रकारों को भी पेपर , विज्ञापन व नगद राशि के माध्यम से उन्हें भी सेट कर दिया जाता है ताकि निश्चिंत होकर भ्रस्टाचार कर सकें। सर्वाधिक दुखद पहली यह है कि जब किसी पंचायतों की शिकायत संबंधित ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों , पत्रकारों व अन्यों के द्वारा संबंधित अधिकारियों से प्रामाणिक दस्तावेजो के साथ कि जाती है तो उसके बावजूद भी अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही अथवा जांच नही की किये जाने से भ्रष्टाचारीयों में डर व भय समाप्त हो गया है।इसके बावजूद जब कुछ कार्यवाही होनी होती है तो राजनैतिक , प्रशासनिक व जनप्रतिनिधियों द्वारा कार्यवाही नही किये जाने का निर्देश जारी कर दिया जाता है। कुछेक सरपंच व सचिव लोग राजनीति से जुड़े होने के कारण उन्हें सत्ताधारी पार्टी का सरंक्षण प्राप्त हो जाता है। इनकी फोटो बाकायदा विज्ञापनों व पोस्टरों में बेहिचक दिखाई देती है। पार्टी व पत्रकारों को विज्ञापन देकर सभी को उपकृत करने व स्वयं को संरक्षित करने का प्रयास किया जाता है। इन सबमें सबसे अहम भूमिका सरपंच व सचिव संघ की रहती है जो अधिकारियों व नेताओ के संपर्क में लगातार रहकर अपने आपको बचाते हैं। आज भी सरायपाली जनपद में कई ऐसे सचिव हैं जो सालों से सरायपाली में ही अपने आकाओं के सरंक्षण में टिके हुवे है। ये पुराने सचिव काम कम करते हैं व नेतागिरी करते अधिक पाये गए है। संघ की आड़ में राजनीति करने व अपनो को सिर्फ बचाने का जारी अधिक किया जाता है। संघ का मूल उद्देश्य ही सिर्फ यही रह गया है।
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