मंगलवार, 29 सितंबर 2020

पॉलिसी धारकों को मिलेंगे नए अधिकार

1 अक्तूबर से बदल रहे हैं स्वास्थ्य बीमा से संबन्धित नियम, पॉलिसी धारकों को मिलेंगे नए अधिकार।


अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद। 1 अक्टूबर के बाद पॉलिसी धारक को नए अधिकार मिलने वाले है। अगर आपने लगातार 8 साल तक अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम भरा है तो कंपनी किसी भी कमी के आधार पर क्लेम रिजेक्ट नहीं कर पाएगी। हेल्थ कवर में ज्यादा से ज्यादा बीमारियों के लिए इलाज का क्लेम मिलेगा। हालांकि, इसका असर प्रीमियम की दरों में इजाफे के तौर पर भी दिख सकता है।
पहली बार मिलेंगे ये अधिकार-
एक से ज्यादा कंपनी की पॉलिसी होने पर ग्राहक के पास क्लेम चुनने का अधिकार होगा। एक पॉलिसी की सीमा के बाद बाकी का क्लेम दूसरी कंपनी से मुमकिन हो सकेगा। डिडक्शन हुए क्लेम को भी दूसरी कंपनी से लेने का अधिकार होगा।  30 दिन में क्लेम स्वीकार या रिजेक्ट जरूरी है। एक कंपनी के प्रोडक्ट में माइग्रेशन तो पुराना वेटिंग पीरियड जुड़ेगा। टेलीमेडिसिन का खर्च भी क्लेम का हिस्सा होगा।
टेलीमेडिसिन को बढ़ावा
इलाज के पहले और बाद टेलीमेडिसिन का इस्तेमाल पॉलिसी में शामिल होगा। ओपीडी कवरेज वाली पॉलिसी में टेलीमेडिसिन का पूरा खर्च मिलेगा। डॉक्टर मरीजों को टेलीमेडिसिन के इस्तेमाल की सलाह दे सकेंगे। इसके लिए उन्हें बीमा कंपनियों को मंजूरी नहीं लेनी, सालाना सीमा का नियम लागू होगा।
कवरेज का दायरा बढ़ा।
बीमारियों के कवरेज का दायरा बढ़ेगा। सभी कंपनियों में कवर के बाहर वाली स्थाई बीमारियां समान होंगी। कवर के बाहर वाली स्थाई बीमारियों की संख्या घटकर 17 रह जाएगी। अभी किसी पॉलिसी में एक्सक्लूजन 10 हैं तो 17 होने पर प्रीमियम घटेगा। मानसिक, जेनेटिक बीमारी, न्यूरो संबंधी विकार जैसी गंभीर बीमारियों का कवर मिलेगा। न्यूरो डिसऑर्डर, ऑरल केमोथेरेपी, रोबोटिक सर्ज़री, स्टेम सेल थेरेपी का भी कवर शामिल।
प्री एग्जीस्टिंग बीमारियों की शर्ते बदलीं।
पहले से बीमारी वाली शर्तों को लेकर नियम बदलें- पॉलिसी जारी होने के तीन महीने के भीतर लक्षण पर प्री-एग्जिस्टिंग बीमारी माना जाएगा। 8 साल तक प्रीमियम के बाद क्लेम रिजेक्ट नहीं होगा। 8 साल पूरे होने के बाद पॉलिसी को लेकर कोई पुनर्विचार लागू नहीं होगा। 8 साल तक रीन्युअल तो गलत जानकारी का बहाना नहीं चलेगा।
इंप्लांट और डायग्नोस्टिक का पूरा क्लेम मिलेगा।
फार्मेसी, इंप्लांट और डायग्नोस्टिक से जुड़ा पूरा खर्च क्लेम में मिलेगा। एसोसिएट मेडिकल खर्च बढ़ने से क्लेम राशि में कटौती होती है। तय सीमा से ज्यादा रुम पैकेज में एसोसिएट मेडिकल खर्च पर क्लेम कटौती होती है। क्लेम में आईसीयू के भी अनुपात में कटौती नहीं होगी।             


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