मंगलवार, 15 सितंबर 2020

महिलाओं को 1000 दिन के पोषण का ज्ञान

गर्भवती व धात्री महिलाओं को दिया 1000 दिनों के पोषण की जानकारी।


संतकबीरनगर। राष्‍ट्रीय पोषण माह के दौरान सोमवार को जिले के विभिन्‍न क्षेत्रों में कोविड–19 प्रोटोकाल का पालन करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने गर्भवती व धात्री महिलाओं के घरों में जाकर 1000 दिनों के पोषण की जानकारी दी। 1000 दिनों का पोषण भ्रूण के गर्भ में आने से लेकर उनसे दो वर्ष की आयु के पूर्ण करने तक होता है।
पोषण माह की गतिविधियों के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पोषण सखी, सुपरवाइजर तथा पोषण से जुड़े अन्‍य अधिकारी जिले की गर्भवती तथा धात्री महिलाओं के घर पहुंचे। वहां जाकर महिलाओं को यह बताया गया कि वह किस तरह से गर्भकाल में आहार लें ताकि बच्‍चों का पोषण किसी प्रकार से प्रभावित न हो। डीपीओ विजयश्री बताती हैं कि गर्भकाल से लेकर 2 साल की उम्र तक बच्‍चों को उचित पोषण की आवश्‍यकता होती है। कारण यह है कि इसी दौरान बच्‍चे का सम्‍पूर्ण विकास होता है। इसलिए उनके पोषण पर ध्‍यान देने की आवश्‍यकता होती है। आंगनबाड़ी केन्‍द्र बड़गो की आंगनबाडी कार्यकर्ता सुमित्रा ने गर्भवती सरिता व अन्‍य लोगों के घर जाकर उनको पोषण के बारे में जानकारी दी तथा उनको 1000 दिनों के पोषण के साथ ही बढ़ते हुए शिशुओं के विकास में पोषण के महत्‍व के बारे में बताया। पोषण सखी, जिला पोषण विशेषज्ञ इस दौरान तकनीकी सहयोग प्रदान करते रहे। सुपरवाइजर बन्‍दना सिंह ने बताया कि गौसपुर, बेलपोखरी, महुआर तथा अन्‍य क्षेत्रों में उन्‍होने निरीक्षण किया।
1000 दिनों का इस प्रकार होता है विभाजन।
एक शिशु के विकास के 1000 दिनों का विभाजन शिशु के जन्‍म से दो साल तक के लिए होता है। इसमें 270 दिन यानी 9 महीने तक गर्भावस्‍था के दौरान पोषण तथा दो साल यानी 730 दिनों के लिए विकास की विभिन्‍न प्रक्रियाओं के दौरान पोषण का होता है।
विभिन्‍न स्‍तरों पर 1000 दिन इस प्रकार दें पोषण।
जिला संयुक्‍त चिकित्‍सालय संतकबीरनगर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार बताते हैं कि बच्‍चे के विकास के 1000 दिनों के पोषण को विभाजित किया गया है। माता अपनी गर्भावस्था में आयरन व फोलिक एसिड से भरपूर भोजन ले जो कि गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास व बढ़त के लिए जरूरी है। माँ का दूध 6 माह तक बच्चे की सभी पोषक तत्वों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। अतः 6 माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराना चाहिए। 6 माह से 2 साल तक मां के दूध के अलावा  फल, फलियाँ व प्रोटीनयुक्त पदार्थ  जैसे अण्‍डा इत्‍यादि  बच्चों को दिया जाना चाहिए जो कि उनके सम्पूर्ण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
रखें यह सावधानियां।
गर्भावस्था की पहचान होने पर अतिशीघ्र निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर पंजीकरण करना, नियमित जांच कराना, पौष्टिक व संतुलित आहार का सेवन करना, स्तनपान के संबध में उचित जानकारी प्राप्त करना, चिकित्सक द्वारा दिए गए परामर्शों का पालन करना सुनिश्चित करना, जन्म के 1 घंटे के भीतर बच्चे को स्तनपान कराएं। बच्‍चों को 6 माह तक केवल स्तनपान कराना चाहिए। 6 माह के बाद ऊपरी आहार की शुरुआत करना चाहिए। नियमित स्वास्थ्य जांच कराना चाहिए। शिशु व बच्चे का नियमित व समय से टीकाकरण करवाना चाहिए।                 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you, for a message universal express.

अगले 5 दिनों में लू चलने की संभावना जताई

अगले 5 दिनों में लू चलने की संभावना जताई इकबाल अंसारी  नई दिल्ली। दिल्ली समेत देशभर में गर्मी बढ़ रही है। आने वाले दिनों के लिए भारत मौसम वि...