गुरुवार, 13 अगस्त 2020

विकास के लिए पर्यावरण की बलि अनुचित

नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए पयार्वरण प्रभाव आकलन 2020 ड्राफ्ट  (ईआईए 2020 ) की हर ओर आलोचना हो रही है। विपक्षी पार्टियों से लेकर पयार्वरण का मुद्दा उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता भी इसका विरोध कर रहे हैं। अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी इस मसले पर एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने मोदी सरकार की इस नीति की कड़ी आलोचना की है।


सोनिया गांधी ने कहा कि नई पयार्वरण नीति से पूंजीपतियों को विकास के नाम पर पयार्वरण को हानि पहुंचाने का वैधानिक मौका मिल जाएगा और पयार्वरण संरक्षण की बजाय देश में प्रदूषण फैलाने की नई परम्परा की शुरुआत होगी।


अंग्रेजी के एक समाचार पत्र में इस संबंध में छपे अपने लेख के द्वारा सरकार को घेरते हुए कहा कि उसे मालूम होना चाहिए कि हमारा देश जैव विविधता का भंडार है और इसकी सुरक्षा हम सबका दायित्व है। कोरोना महामारी के दौरान सरकार को पयार्वरण की रक्षा के लिए काम करना चाहिए था मगर इस दिशा में अच्छे कदम उठाने की बजाय सरकार पयार्वरण को नुकसान पहुंचाने वाली नीति का प्रस्ताव लेकर आई है।


सोनिया गांधी ने अपने लेख में लिखा कि प्रकृति की रक्षा सबका फर्ज है । देश और दुनिया कोरोना महामारी का जो संकट झेल रही है वह हमारे लिए एक नई सीख है और इससे सबक लेते हुए हमें पयार्वरण की रक्षा के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकास की दौड़ अच्छी है लेकिन इसके लिए पयार्वरण की बलि नहीं दी जा सकती। विकास के लिए प्रकृति दोहन की भी एक सीमा तय की जानी चाहिए। इसमें सरकार की गलत नीतियों के कारण पयार्वरण रक्षा में हम दुनिया से काफी पीछे छूट गए हैं।


उन्होंने कहा कि सरकार को पयार्वरण के बिगड़ते संतुलन की अनदेखी नहीं करनी चाहिए और इसकी सुरक्षा के उपाय करने चाहिए। इसके लिए सबसे पहले यह घातक प्रस्ताव वापस लिया जाना चाहिए। गौरतलब है कि सरकार जिस ईआईए को लागू करने जा रही है, उसके तहत विकास कार्यों के लिए पयार्वरण मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है।             


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