मंगलवार, 11 अगस्त 2020

टिप्पणी पर मौलाना के खिलाफ याचिका

अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 अगस्त को अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन के बाद मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए बहुत से नेताओं ने विवादित बयान दिए हैं। इन बयानों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में वकील विनीत जिंदल ने एक याचिका दायर की है, जिसमें संभल से सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सेक्रेटरी मौलाना मोहम्मद वली रहमानी समेत अन्य पर अदालत के फैसले की अवमानना करने का आरोप लगाया गया है।


अयोध्या में मस्जिद थी और मस्जिद ही रहेगी – सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क
संभल से सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा था कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी, है और आगे भी रहेगी। जहां एक बार मस्जिद बन जाती है वह जमीन और वह हिस्सा हमेशा मस्जिद का ही रहता है और मस्जिद का ही रहेगा। यह इस्लाम का कानून है। मुसलमानों को डरने की कोई जरूरत नहीं है। मुसलमान यह समझे कि हम किसी की रहमों करम पर जिंदा नहीं बल्कि ऊपर वाले के रहमों करम पर जिंदा है।उन्होंने कहा था कि यह हमारे साथ नाइंसाफी हुई है लेकिन फिर भी मुसलमानों ने बहुत सब्र के साथ काम किया है। इसलिए हमें विश्वास है कि यह मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी। इसको कोई मिटा नहीं सकता। इस देश के लिए मुसलमानों ने जितनी बड़ी कुर्बानी दी है उसको दुनिया भुला नहीं सकती।


मौलाना मोहम्मद साजिद रशीदी के बयान
ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद साजिद रशीदी ने कहा, ‘इस्लाम कहता है कि एक मस्जिद हमेशा एक मस्जिद होगी। इसे कुछ और बनाने के लिए नहीं तोड़ा जा सकता है। हमारा मानना है कि यह एक मस्जिद थी और हमेशा एक मस्जिद ही रहेगी। मस्जिद को मंदिर ध्वस्त करने के बाद नहीं बनाया गया था मगर अब मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को ध्वस्त किया जा सकता है।            


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