गुरुवार, 6 अगस्त 2020

राष्ट्रपति पीएम को भेजी गोबर की राखी

पालूराम


नई दिल्ली। देश की अवाम की छाती पर बैठकर घोटाले हो रहे हैं, लेकिन हम कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि निज़ाम बेरहम है।


क्रोनोलॉजी को समझिये-


24 मार्च 2020 को मोदी सरकार देश में वेन्टीलेटर्स के निर्यात पर पाबंदी लगाती है।


31 मार्च 2020 को सरकार दो कंपनियों को 40 हज़ार वेन्टीलेटर्स का आर्डर देती है। एक कंपनी को बायोकॉन की किरण मजूमदार शॉ और इंफोसिस की सुधा मूर्ती का सपोर्ट है। 23 जून 2020 को PM केयर्स से 50 हजार वेन्टीलेटर्स के लिए 2000 करोड़ जारी होते हैं। इसमें से 40 हज़ार वेन्टीलेटर्स का आर्डर पुराना है। लेकिन बिक चुकी गोदी मीडिया मोदी की दरियादिली के आगे बिछ जाती है।


यानी मोदी ने सिर्फ 10 हज़ार वेन्टीलेटर्स का आदेश दिया? पत्रकार और एक्टिविस्ट साकेत गोखले कहते हैं कि सरकार ने 1.5-2 लाख प्रति वेन्टीलेटर्स के हिसाब से खरीदी का आदेश दिया था।लेकिन जून में मोदी ने अपने फण्ड (अभी तक यही सही है) से 4 लाख प्रति वेंटीलेटर के हिसाब से आर्डर दिया। 23 जून 2020 को ही पीएम केयर्स कहती है कि 2923 वेंटीलेटर बने लेकिन राज्यों को मिले 1340 ही। हालांकि एक कंपनी 16 जून को दावा करती है कि उसने 4000 वेन्टीलेटर्स तो 15 जून को ही बना लिए थे। 24 जून को इंडियन एक्सप्रेस कहता है कि सिर्फ 6% वेन्टीलेटर्स ही बने हैं। और फिर 1 अगस्त 2020 को मोदी सरकार वेन्टीलेटर्स के निर्यात की अनुमति देती है। सरकार और PM केयर्स से जितने वेन्टीलेटर्स का आर्डर दिया गया वे ट्यूब के बिना ऑक्सीजन सप्लाई नहीं कर सकते और यह जोखिम भरा है। शायद सरकार इन्हीं खतरनाक वेन्टीलेटर्स का निर्यात करेगी। जिसे कमाना था, वह करोड़ों कमा चुका है। यही इस देश की खोखली आत्मनिर्भरता है। दुनिया हम पर हंस रही है।


राम मंदिर का शिलान्यास होगा। अखबारों और मीडिया को प्रचार के लिए करोड़ों रुपये दिए गए हैं। मोदी सरकार के लिए मंदिर ज़रूरी है, मरते लोगों के लिए ऑक्सीजन नहीं।हमारा आत्मगौरव अगर मंदिर बनाने से बढ़ता है तो इसे आपदा में अवसर मानने में कोई हर्ज भी नहीं। सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए मसौदा बनाया है। क्या नया होगा? इसी तरह वे कंपनियां हथियार बनाएंगी, जिसने दीवाली के पटाखे भी नहीं बनाए। इस बार चीन को मात देने के लिए गोबर की राखियां बनाकर पीएम और राष्ट्रपति को भेजी गई हैं। पता नहीं उन्होंने पहना या नहीं। पहनना चाहिए। आत्मनिर्भरता का अहसास होगा।देश भर में शिक्षा, तकनीकी शोध और नवाचार का दिवाला निकल चुका है। गाय-गोबर से आगे देश सोच नहीं पा रहा है। जहां झूठ ही चल रहा हो, वहां ओरिजिनल की उम्मीद बेकार है। क्योंकि हम सकारात्मक होना पसंद करते हैं। हम छिपाना पसंद करते हैं। हम कोरोना से स्वस्थ लोगों को देखकर खुश होते हैं। भारत रोजाने के सक्रिय कोरोना मामलों में शीर्ष पर है। यानी दुनिया को कोरोना बांटने में नंबर 1, लेकिन हमें शर्म नहीं आएगी। तभी तो सरकार कहती है कि लोग मर नहीं रहे, इसलिए वेन्टीलेटर्स का निर्यात करो। ग़लती निज़ाम की नहीं, हमारी मूर्खता और झूठे आत्मगौरव की है।         


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you, for a message universal express.

यूपी: लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे अखिलेश

यूपी: लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे अखिलेश  संदीप मिश्र  लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके ...