रविवार, 9 अगस्त 2020

हताश, निराश, लाचार हुए दिहाड़ी मजदूर

अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद। कोरोना संक्रमण के दौरान शहरों को सैनिटाइज़ करने के उद्देश्य से हर सप्ताहांत को लगने वाले मिनी लॉकडाउन से संक्रमण कम हुआ हो या नहीं, इसकी वजह से पहले से बरबाद जिले की अर्थव्यवस्था हाशिये पर आ गई है। अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए मजबूर दिहाड़ी मजदूर लॉकडाउन के दौरान काम की तलाश में तो निकलते हैं लेकिन उन्हें खाली हाथ निराश होकर अपने घरों को वापस लौटना पड़ता है।


गाड़ी को पटरी पर आने में लगेंगे महीनों
कोरोना के चलते अभी तक औद्योगिक और व्यवसायिक गतिविधियां पूरी तरह से पटरी पर नहीं लौट पाई है। ऐसे में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों के सामने अभी भी दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी किसी चुनौती से कम नहीं है।


घंटों खड़े रहते हैं काम की तलाश में
गाजियाबाद के नासिरपुर फाटक के पास हर सुबह 250 से भी अधिक दिहाड़ी मज़दूर काम की तलाश में आते हैं। लेकिन, वीकेंड पर इन्हें कोई काम देने के लिए तैयार नहीं होता है। बहुत से उद्यमी और ठेकेदार इन्हें काम देना तो चाहते हैं लेकिन इस बात का डर भी रहता है कि अगर वह किसी भी तरह का कोई काम करवाएंगे तो कोई कानूनी कार्रवाई उनके खिलाफ ना हो जाए।


सैनिटाइजेशन के नाम पर बहाया जा रहा है पानी
शनिवार और इतवार को गाज़ियाबाद नगर निगम और जिला प्रशासन जिले भर के भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों और बाज़ारों को सैनिटाइज़ कराता है।  लेकिन अब सैनिटाइजेशन में इस्तेमाल होने वाले केमिकल की गुणवत्ता पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं। लोगों का कहना है कि बहुत सी जगहों पर सैनिटीजेशन के नाम पर सादा पानी बहाया जा रहा है।               


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