घटिया और कमजोर प्रशासन की हकीकत
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। जनपद की प्रशासनिक व्यवस्था की हकीकत किस हद तक घटिया और निकम्मी हो सकती है ? शायद इसका आपको अनुमान भी नहीं है। संविधान को समर्पित अधिकारियों की निष्ठा इतनी कमजोर हो सकती है ? इसके लिए आपको थोड़ा आश्चर्य तो होगा ही। जनपद में सारे गैरकानूनी धंधे खुलेआम चल रहे हैं। हालांकि यह कोई बड़ी बात नहीं है। विशेष बात यह है कि जनपद में पुलिस की व्यवस्था हैरान करने वाली है। पुलिस के संरक्षण में अपराध और अपराधी मस्त हैं। इसके बाद पुलिस के द्वारा सड़कों पर जांच-पड़ताल के नाम पर खूब खसोट की गई है।अभी भी लूट खसोट का ये खेल जारी है। बिना मास्क और हेलमेट आदि के नाम पर खूब उत्पात मचाया जा रहा है।
गरीब-मजदूर लोगों को खूब सताया जा रहा है।
जबकि गत 5 अगस्त को 'भूमि-पूजन' के नाम पर लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने सारे नियम और कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाकर, यह साबित किया है कि जनपद की पुलिस, कानून व्यवस्था और 'कसम-धरम' खाने वाले कानून के नुमाइंदों का कोई वजूद नहीं है। किसी अधिकारी, कर्मचारी की इतनी औकात नहीं है। या यूं कहिए विधायक के सामने पतलून खसकाने के अलावा दूसरा कर्तव्य नहीं है। जनपद की प्रशासनिक व्यवस्था इतनी घटिया और कमजोर है। ऐसी व्यवस्था पर कोरी लानत है। जो अधिकारी गधे चराने के लायक नहीं है। एयर कंडीशनर ऑफिस में बैठ कर कुर्सी तोड़ रहे हैं। जनता की गाढ़ी कमाई की मोटी-मोटी तनख्वाह डकार रहे हैं। स्वाभिमान नाम की कोई चीज नहीं है। ये जिल्लत भरी जिंदगी के अलावा और कुछ भी नहीं है। विधायक के खिलाफ कोई प्रावधान-कानून नहीं है ? हजारों की संख्या में भीड़ एकत्रित करना। जिसमें 'सामाजिक-दूरी' सहित लागू दिशा-निर्देश का उल्लंघन किया गया है। बिना मास्क के रैली निकालना, संक्रमण को बढ़ावा देना नहीं है ?
शुक्रवार, 7 अगस्त 2020
घटिया व कमजोर प्रशासन की हकीकत
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