गुरुवार, 6 अगस्त 2020

भारत में कोरोना जांच की दर बहुत कम


हैदराबाद। विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन का कहना है कि भारत में कोरोना की टेस्टिंग की दर उन देशों की तुलना में कम है, जो इसे रोकने का सफल प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन एक तात्कालिक उपाय था। मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि कोरोना वैक्सीन तैयार करने में अधिक समय लग सकता है क्योंकि अभी भी हम पूरी तरह से इस वायरस को नहीं समझ पाए हैं।


वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हैदराबाद में आयोजित ‘द वैक्सीन रेसः बैलेंसिंग साइंस एंड अर्जेंसी’ नामक एक पैनल डिस्कशन को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि कोवैक्स का उद्देश्य 2021 के अंत तक कोरोना वैक्सीन की दो अरब डोज तैयार करना है। स्वामीनाथन ने कहा कि मौजूदा समय में कोरोना वायरस के 28 टीके क्लीनिकल ट्रायल के दौर में हैं। इनमें से पांच वैक्सीन के दूसरे चरण का परीक्षण चल रहा है।


इसके अलावा दुनियाभर में 150 से अधिक वैक्सीन क्लीनिकल परीक्षण से पहले के दौर में हैं। उन्होंने कहा कि भारत में जर्मनी, ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान जैसे देशों की तुलना में कोरोना की टेस्टिंग दर काफी कम है. यहां तक कि अमेरिका में भी बड़ी आबादी की कोरोना जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि पर्याप्त संख्या में जांच किए बगैर वायरस से लड़ना आंख पर पट्टी बांधकर आग से लड़ने के समान है। स्वामीनाथन के मुताबिक, कोविड-19 की टेस्टिंग में अगर पॉजिटिव पाए जाने की दर पांच फीसदी से अधिक है तो पर्याप्त संख्या में जांच नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय अब भी कोरोना वायरस के प्रति शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का अध्ययन कर रहा है और अगले 12 महीने जन स्वास्थ्य एवं सामाजिक उपायों को ठीक करने में महत्वपूर्ण है।



डब्ल्यूएचओ की अधिकारी ने कहा, ‘हमें पता है कि लॉकडाउन अस्थाई उपाय है जो प्रसार को कम करता है क्योंकि यह लोगों को एक-दूसरे के नजदीक आने से रोकता है। स्वामीनाथन ने  वैक्सीन के परीक्षण के बारे में कहा कि डब्ल्यूएचओ ने इसके लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। अगर टीके के सटीक प्रभाव की दर 70 फीसदी रही तो इसे अच्छा माना जाएगा।


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