सोमवार, 13 जुलाई 2020

योजनाएं और सेवाओं की दी जानकारी

अकेले नहीं है आप, प्राधिकरण है आपके साथ, हर परिस्थिति में थामे रखें अपने बड़े बुजुर्गों हाथः जगत सिंह    


रतन सिंह चौहान
होडल पलवल। हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण पंचकुला के निर्देशन में जिला विधिक सेवाएँ प्राधिकरण के तत्वावधान में जिला एवं सत्र न्यायाधीश एंव चेयरमेन श्री चंद्रशेखर व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एंव सचिव श्री पीयूष शर्मा के मार्गदर्शन में रविवार को आॅनलाइन जागरूकता कार्यक्रम का संचालन पैनल अधिवक्ता जगत सिंह रावत द्वारा किया गया।                                         


आनलाइन कार्यक्रम के संचालन में पैनल अधिवक्ता जगत सिंह रावत ने श्रोता पैनल अधिवक्ताओं व पैराविधिक स्वयं सेवकों को वरिष्ठ नागरिकों के लिए कानूनी सेवाएं नालसा योजना, 2016 व माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007, विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987, मौलिक कर्तव्यों, कोविड - 19 कोरोना महामारी संक्रमण से बचाव के विशेष उपायों के बारे में जागरूक किया।  उन्होंने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 के बारे बताया कि अधिनियम के अंतर्गत माता-पिता, दादी-दादा व  वरिष्ठ नागरिक जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक हो और जो भारत के नागरिक हों, वे भरण पोषण प्राप्त करने के हकदार हैं, वे नाबालिग संतान को छोडकर, एक या एक से अधिक संतानों पर भरण-पोषण का दावा दायर कर सकते हैं। वरिष्ठ नागरिक, हस्तांतरित सम्पत्ति को वापस ले सकता है। वरिष्ठ नागरिक का परित्याग करना एक कानूनी अपराध है। वरिष्ठ नागरिक हमारे समाज के पथप्रदर्शक हैं। वरिष्ठ नागरिकों ने शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आर्थिक तरह की विभिन्न चुनौतियों का सामना किया है, चुनौतियों से समाज को उभारा है। उन्होंने समाज को अच्छे संस्कार और तजुर्बे प्रदान किये हैं, जिनकी बदौलत समाज को एक बेहतर दिशा मिली है। लेकिन आधुनिकीकरण और पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में और उनकी बीमारी या शारीरिक दुर्बलता के कारण बडे बुजुर्गों के सम्मान में कमी आई है और उनके प्रति समाज में अपराध में बहुत वृद्धि हुई है। उनकी उपेक्षा को देखते हुए और वरिष्ठ नागरिकों के लिए जारी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए नालसा योजना को लागू किया गया । नालसा योजना के अंतर्गत वरिष्ठ नागरिकों की पहचान करके उनको हक दिलवाना है। वरिष्ठ नागरिक मुफ़्त कानूनी सहायता, भरण-पोषण पाने, विचाराधीन मामलों में प्राथमिकता, बुढापा सम्मान पेंशन सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं को सुलभता के साथ पाने के हकदार हैं। माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों ने अपने बच्चों को जन्म से ही उच्च संस्कार के साथ-साथ बच्चों के लिए हर बुरे वक्त को सहन करके पालन पोषण किया है इसलिए आज हमारी भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि एक बच्चे की तरह ही बडे बुजुर्गों की देखभाल रखें। बीमारी और असमर्थता के कारण बुजुर्गों की उपेक्षा ना करें। उन्हें भी स्वतंत्रता के आधार पर सम्मानजनक जीने और अपना हक पाने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि आज कोरोना संक्रमण बहुत फैल रहा है, इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा मास्क का प्रयोग करके सामजिक दूरी को कायम रखना होगा। आज हमें सरकार के सभी नियमों का पालन करके, एक सच्चे और अच्छे नागरिक होने का फर्ज निभाना है। ये हमारे लिए परीक्षा की घडी है, हमें राष्ट्रीय सेवा के लिए आगे आना ही होगा। कार्यक्रम के माध्यम से पैनल अधिवक्ता ने विभिन्न सवालों और सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान की और विभिन्न तथ्यों पर विचार-विमर्श भी किया।‌ ऑनलाइन कार्यक्रम में पैनल अधिवक्तागण ओमप्रकाश सैनी, महेश शर्मा, श्रीमती कमलेश तेवतिया तथा नरेन्द्र कुमार, रामकुमार शास्त्री, चंद्रपाल, किशोर कुमार  पैराविधिक स्वयं सेवकों व विनोद तेवतिया ने विशेष रूप से भाग लिया।


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