कानपुर। आईआईटी कानपुर ने फसलों और बागवानी के लिए नायाब काम किया है। आईआईटी कानपुर ने एक बीज विकसित किया है, जो कोरोना काल में काफी मददगार साबित हो सकता है। यही नहीं, इससे गड्ढा खोदने के झंझट से भी मुक्ति मिल जाएगी। बीज को आईआईटी कानपुर के इमेजनरी लैब ने एग्निस वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड (आईआईटी कानपुर के स्टार्ट-अप) के सहयोग से बनाया है। इमेजनरी लैब को आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों- प्रोफेसर जे रामकुमार और डॉ अमनदीप सिंह ने मिलकर बनाया है।आईआईटी कानपुर ने बीईईजी (बायोकम्पोस्ट समृद्ध इको-फ्रेंडली ग्लोबुले) नाम से स्वदेशी सीड बॉल को विकसित किया है। वैज्ञानिकों ने बताया कि मानसून के सीजन में इसे दूर से फेंका जा सकेगा। बारिश के संपर्क में आने पर यह बीज उर्वरक भी बन जाएगा। सीड बॉल में देशी किस्म के बीज, खाद और मिट्टी शामिल हैं। कोरोना के समय में इसके माध्यम से फिजिकल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए प्लांटेशन किया जा सकेगा। इससे गड्ढा खोदना और फिर उसमें पौधा लगाना आसान हो जाएगा। इसका एक बड़ा फायदा यह होगा कि प्लांटेशन के दौरान की जाने वाली तैयारियों में लगने वाला समय कम हो जाएगा। साथ ही इससे बड़ी संख्या में पेड़ लगाना भी संभव होगा। इसमें किसी पेड़ या वृक्ष के विकास के लिए जिन तत्वों की आवश्यकता होती है, वे प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं।
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