गुरुवार, 2 जुलाई 2020

पाकिस्तान में 50 करोड़ का कृष्ण मंदिर

 















पकिस्तान में 50 करोड़ की लागत से बनेगा कृष्णा मंदिर, इमरान ख़ान ने प्रथम चरण में किया 10 करोड़ देने का एलान।


नई दिल्ली/इस्लामाबाद। पाकिस्तान में रह रहें लगभग 80 लाख हिंदू अल्पसंख्यकों में तब खुशी की लहर दौड़ गई जब पाक सरकार ने 20 हज़ार स्क्वायर फ़ीट ज़मीन और 10 करोड़ रूपये मंदिर बनााने के लिए दिये जाने का एलान किया। हिंदूओं की ये मांग कई वर्षों से जारी थी। 
पाक समामार सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पहली बार किसी हिंदू मंदिर निर्माण हेतु पाक सरकार ने 20 हज़ार स्क्वायर फ़ीट ज़मीन और 10 करोड़ रूपये दिये जाने का एलान किया है। राजधानी इस्लामाबाद में हिंदूओं की संख्या लगभग 3000 बताई जाती है। कुछ दिनों पहले ही इस्लामाबाद कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने मंदिर के लिए ज़मीन दी है। मंदिर निर्माण और निगरानी के लिए के लिए संसदीय सचिव लाल चंद माल्ही को नियुक्त किया गया था। पाकिस्तान सरकार ने यह ज़मीन इस्लामाबाद की हिंदू पंचायत को सौंपते हुए मंदिर निर्माण के प्रथम चरण में 10 करोड़ रुपये देने की घोषणा भी की है। मंदिर निर्माण के मामले में लाल चंद माल्ही का कहना है कि सरकार के एलान के बाद हिंदू समुदाय के दिए चंदे से कृष्ण मंदिर की चारदीवारी बनाई जाने लगी थी क्योंकि सरकार द्वारा ऐलान की गई राशि अभी मिलनी बाकी है। यह जानकारी 23 जून को दोपहर में माल्ही ने ट्वीट के जरीए साझा की। 


समाचार सूत्रों के अनुसार माल्ही ने यह भी कहा कि हिंदू पंचायत इस ज़मीन पर विशाल परिसर बनाना चाहती है जिसमें मंदिर, श्मशान, लंगरखाना, सामुदायिक भवन और रहने के लिए धर्मशाला होगी। शुरुआती अनुमान के अनुसार मंदिर निर्माण में कम से कम 50 करोड़ रुपये का ख़र्च होने की संभावना है। इसके पीछे हमारा मक़सद अंतरधार्मिक सद्भाव बढ़ाना और क़ायदे आज़म मुहम्मद अली जिन्ना के सपनों का समावेशी पाकिस्तान बनाना है।
हांलाकि पाकिस्तान में मज़हबी शिक्षा देने वाली संस्था जामिया अशर्फ़िया मदरसा के एक मुफ़्ती ने इसके ख़िलाफ़ फ़तवा जारी किया है और मंदिर का निर्माण रोकने के लिए मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। मंदिर निर्माण के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी करने वाली संस्था लाहौर की देवबंदी इस्लामिक संस्था है। सूत्रों के अनुसार इस फ़तवे में मुहम्मद ज़कारिया ने कहा है कि इस्लाम में अल्पसंख्यकों के धर्मस्थलों की देखभाल करना और उन्हें चलाना तो ठीक है लेकिन नए मंदिरों और नए धर्मस्थलों के निर्माण की इजाज़त इस्लाम में नहीं है। राजधानी इस्लामाबाद में नए मंदिर का निर्माण न सिर्फ़ इस्लामी भावना के ख़िलाफ़ है बल्कि पैगंबर मोहम्मद के बनाए मदीना शहर का भी अपमान है।


ज़कारिया ने अपने फ़तवे में कहा है कि उन्होंने लोगों के सवालों के बाद ये फ़तवा जारी किया है। कहा कि हम कुरान और सुन्ना के ज़रिए लोगों का मार्गदर्शन करने की कोशिश करते हैं। हम अपने मन से कुछ भी नहीं बोलते। मेरी समझ है कि एक इस्लामी देश में नए मंदिर या अन्य धर्मस्थल बनाना ग़ैर-इस्लामी है। हम सरकार को सिर्फ़ धर्म के आधार पर उसे समझाने की कोशिश कर सकते हैं और हमने अपना काम कर दिया है।
वहीं दुसरी ओर इस्लामाबाद के एक वकील ने कृष्ण मंदिर निर्माण रुकवाने के लिए हाईकोर्ट में आपत्ति दर्ज की है। 
हालांकि इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने याचिका पर मंदिर निर्माण पर स्टे देने से मना कर दिया है। अदालत ने कहा है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को भी धार्मिक आज़ादी का उतना ही अधिकार है जितना कि बहुसंख्यकों को। वहीं अदालत ने कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी के अध्यक्ष और अन्य सम्बन्धित अधिकारियों को नोटिस भी भेजा है और कहा है कि याचिकाकर्ता वकील के सवालों का जवाब देकर यह स्पष्ट किया जाए कि मंदिर बनाने में नियमों का उल्लंघन नहीं हो रहा है। वहीं दुसरी ओर पाक प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अपना रूख स्पष्ट करते हुए 26 फरवरी 2020 को अपने ट्वीट में कहा था कि मैं लोगों को चेताना चाहता हूं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों या उनके धर्मस्थलों को निशाना बनाने वालों से सख़्ती से निबटा जाएगा। हमारे अल्पसंख्यक इस देश में बराबरी के नागरिक हैं।



 

 



 



 















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