काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी पर आया संकट टल चुका है। पूर्व प्रधानमंत्री और ओली विरोधी नेपा पुष्प कमल दहल उर्फ़ प्रचंड के तेवर फिलहाल नरम पड़ गए हैं। प्रचंड के तेवरों में आई यह नरमी चीन के प्रयासों का ही नतीजा है। ओली चीन के समर्थक हैं और उसकी विस्तारवादी आदतों को आंखमूंद कर स्वीकार कर रहे हैं, लिहाजा उनकी कुर्सी बचाने के लिए चीन ने जमीन-आसमान एक कर दिया था।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी मे विभाजन का संकट अब टल गया है। यानी ओली की कुर्सी अब काफी हद तक सुरक्षित है। ओली के खिलाफ विरोध शुरू होते ही चीन सक्रिय हो गया था। नेपाल में चीन की राजदूत होउ यानकी ने कई बार ओली और प्रचंड से मुकालात की।उन्होंने यह विवाद सुलझाने के लिए कूटनीतिक आचार संहिता को भी ताक पर रख दिया। नेपाल में चीन के बढ़ते दखल को लेकर लोगों में गुस्सा है। इसके विरोध में लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन भी किया है।नेपाली अखबारों ने चीनी राजदूत की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं, लेकिन इसके बावजूद होउ यानकी ओली को बचाने के अपने मिशन में कामयाब हो गईं।
मंगलवार, 21 जुलाई 2020
नेपाल पीएम पर आया संकट टल गया
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