सोमवार, 13 जुलाई 2020

मंदिर में शिव दर्शन करने को उमड़ी भीड़

रघु यादव मस्तूरी 


मल्हार। मल्हार के पातालेश्वर मंदिर में दुसरे सोमवार को शिव भक्तों की संख्या शिव दर्शन करने को बड़े ही उत्साह पूर्वक पहुंचे। यहां पर भगवान शंकर भू-गर्भ में विराजमान हैं और मनोरथपूर्ण करने वाले माने जाते हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां पर भव्य मेला भी लगता है। एतिहासिक स्थल के तौर पर मल्हार काफी प्रचलित है। मंदिर के प्रति लोगों की आस्था समय के साथ बढ़ती जा रही है। पातालेश्वर महादेव भू-गर्भ में विराजमान हैं और इस मंदिर में 108 कोण बने हुए है।पुरातत्व विभाग मंदिर का संरक्षण कर रहा है। पातालेश्वर महादेव को केदारेश्वर भी कहते हैं। काले चमकीले पत्थर की गौमुखी आकृति की शिवलिंग है। एसी मान्यता है कि भगवान शंकर की जलहरी में चढ़ाया जाने वाला जल पाताल लोक तक पहुंचता है। इसलिए इसे पातालेश्वर कहा गया है। मंदिर में गंगा, यमुना नदी की प्रतिमा के साथ ही शिव, पार्वती, गणेश, नंदी के बेजोड़ अंकन हैं। सोमराज ने कराया मंदिर का निर्माणः पातालेश्वर मंदिर का निर्माण कल्चुरी राजाओं ने कराया था। मंदिर का निर्माण दसवीं से 13वीं सदी के समय में हुआ था। सोमराज नामक ब्राह्मण ने मंदिर का निर्माण कराया था। एेसा मंदिर है, जिसमें 108 कोण बने हुए हैं। मंदिर भू तल में स्थित है। भगवान शिव की प्रतिमा भी गोमुखी है और भू-गर्भ में है। सालों से लग रहा शिवरात्रि मेलाः महाशिवरात्रि के अवसर पर पातालेश्वर मंदिर परिसर में भव्य मेले का आयोजन सालों से किया जा रहा है। यह मेला 15 दिनों का होता है। यहां पर प्रदेश के अलग-अलग जगहों से व्यापारी आते हैं। मनोरंजन के लिए टॉकीज, जादू, मौत का कुंआ, सर्कस भी यहां पर आते हैं। मंदिर तक पहुंचने का मार्गः शहर से लगभग 32 किलोमीटर की दूरी पर तहसील मस्तूरी के अंतर्गत नगर पंचायत मल्हार में पातालेश्वर महादेव का एेतिहासिक मंदिर है। मंदिर तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। सिटी बस या प्राइवेट वाहन से भी पहुंचा जा सकता है।           


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