नई दिल्ली। कोरोना काल में बच्चों के टीकाकरण का काम सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनीसेफ ने कोरोना वायरस कोविड-19 के संक्रमण के कारण दुनिया भर में बाधित हुए बच्चों के टीकाकरण अभियान के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे वर्षों की मेहनत पर पानी फिर जायेगा। डब्ल्यूएचओ और यूनीसेफ ने ताजा आंकड़ों का हवाला देते हुए बुधवार को कहा कि कोरोना संक्रमण की वजह से दुनिया भर में बच्चों के टीकाकरण में बाधायें आयी हैं। इसके कारण अधिकाधिक बच्चों को टीका देने के अभियान को गहरी क्षति पहुंची और साथ ही पोलियो जैसी बीमारी से मुक्त होने वाले देशों पर दोबारा संकट मंडराने लगा है। आंकड़ों के मुताबिक इस साल के शुरुआती चार माह यानी अप्रैल 2020 तक के आंकड़े बताते हैं कि डिप्थीरिया, टेटनस और कालीखांसी के टीके डीटीपी3 के तीन डोज पूरा करने वाले बच्चों की संख्या में खासी गिरावट आयी है। ऐसा 28 साल में पहली बार हो रहा है जब दुनिया में डीटीपी3 डोज पूरा करने वाले बच्चों की संख्या में गिरावट आयी है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. तेद्रॉस अधानोम गेब्रेसस ने कहा किः जन स्वास्थ्य के इतिहास में टीकाकरण सबसे बड़ी कोरोना संक्रमण ने लेकिन वर्षों की इस मेहनत पर पानी फेरने का काम किया है। टीकाकरण कारण जितने लोग बीमार हुए और जितनी मौत हुई, उससे अधिक संख्या में टीकाकरण न करा पाने वाले बच्चे बीमार हो सकते हैं और उनकी मौत हो सकती है। उन्होंने कहा कि लेकिन ऐसा हो यह जरुरी नहीं। इस महामारी के समय में भी टीके की आपूर्ति की जा सकती है, उसे डिलीवर किया जा सकता है और हम सभी देशों को कह रहे हैं। कि वे इस जीवन रक्षक कार्यक्रम को कोरोना संक्रमण के दौर में भी जारी रखें। यूनीसेफ,डब्ल्यूएचओ और गावी के नये सर्वेक्षण के मुताबिक कोविड-19 महामारी के कारण कम से कम 30 टीकाकरण अभियानों के समाप्त होने का खतरा मंडरा रहा है, जिससे इस साल तथा आने वाले साल में बीमारियां बढ़ सकती हैं। यह सर्वेक्षण अमेरिका के सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल, द साबिन वैक्सीन इंस्टीट्यूट और जॉन हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल आॅफ पब्लिक हेल्थ के सहयोग से किया गया। सर्वेक्षण में शामिल 82 देशों में से तीन चौथाई देशों ने कोरोना काल में टीकाकरण अभियान के बाधित होने की बात कही। टीकाकरण अभियान के बाधित होने के कई कारण बताये गये। कई देशों में लोग टीके की आपूर्ति होने के बावजूद अपने घर से बाहर निकलने के डर में, परिवहन सेवा के बाधित रहने, आर्थिक तंगी, आवाजाही में प्रतिबंध और कोरोना संक्रमण के चपेट में आने के भय से बच्चों को टीका नहीं दिला सके। टीका देने वाले स्वास्थ्यकर्मी भी सुरक्षात्मक उपकरण की कमी, कोरोना संक्रमण संबंधी अलग ड्यूटी में तैनाती तथा आवाजाही में परेशानी के कारण अनुपलब्ध रहे।
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