मंगलवार, 7 जुलाई 2020

बिना काम निगम कर्मचारियों को वेतन

हीरेन्द्र सिंह राठौड़


नई दिल्ली। राजधानी के तीनों नगर निगमों में भ्रष्टाचार जोरों पर है। कहीं टेंडर घोटाले तो कहीं बिना काम किये फर्जी कर्मचारियों को वेतन दिया जा रहा है। यहां तक कि कुछ कर्मचारियों को तो अफसरों ने अपनी निजी सेवा में लगा रखा है। एटूजैड न्यूज को मिले दस्तावेजों में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों ने खुद माना है कि कुछ कर्मचारियों को बिना काम के वेतन दिया गया है।


 दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के नजफगढ़ जोन के उप स्वास्थ्य अधिकारी (डीएचओ) कार्यालय ने स्वीकार किया है कि कुछ कर्मचारियों को बिना काम के वेतन जारी किया गया है। मांगी गई जानकारी के जवाब में अधिकारियों ने यह भी कहा है कि ऐसे कर्मचारियों के वेतन से यह राशि भविष्य में काट ली जाएगी। अधिकारियों की नींद तब खुली जब आला अधिकारियों से सबूतों के साथ शिकायत की गई।


निगम के वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फर्जीवाड़ा स्वीकारे जाने के बावजूद आला अधिकारियों ने संबंधित कनिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ काई कार्रवाई नहीं की। यहां तक कि निगम अधिकारी यह भी नहीं बता पा रहे हैं कि उन्होंने साक्ष्य मिलने और मामला सामने आने के बाद उन कर्मचारियों का वेतन काटा या नहीं।


8 करोड़ सालाना का फर्जीवाड़ा
बताया जा रहा है कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों में चल रहा ‘फर्जी हाजिरी घोटाला’ करीब 8 करोड़ रूपये सालाना का है। हर वार्ड में कुछ कर्मचारियों की फर्जी हाजिरी लगाकर वेतन उठाया जा रहा है। बिना काम के भुगतान की जा रही इस करोड़ों रूपये की राशि को नीचे से ऊपर तक बांटा जा रहा है। यही कारण है कि नगर निगमों के आला अधिकारी इस मामले में कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं हैं। ताजा मामला दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के वेस्ट जोन से सामने आया था।
फर्जीवाड़े की भेंट चढ़ीं पौने चार करोड़ की बायोमैट्रिक
बताया जा रहा है कि करीब पौने चार करोड़़ रूपये की बायोमैट्रिक मशीनें नगर निगमों के आला अधिकारियों के फर्जी हाजिरी घोटाले की भेंट चढ़ गई हैं। तीनों नगर निगमों में करीब 4 हजार बायोमैट्रिक मशीनें लगाई गई थीं। लेकिन 2017 के निगम चुनाव के बाद से ही अधिकारियों ने पहले फील्ड और बाद में निगम कार्यालयों से इन बायोमैट्रिक मशीनों को हटाना शुरू कर दिया था। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों ने एक सवाल के जवाब में खुद माना है कि यहां 1498 बायोमैट्रिक मशीनें लगाई गई थीं, जो कि अब काम नहीं कर रही हैं।
लगाई जा रही हाजिरी रजिस्टर में हाजिरी
तीनों नगर निगमों में अब कर्मचारियों से हाजिरी रजिस्टर में हाजिरी लगवाई जा रही है। इस मामले में भी दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकारी फर्जीवाड़े में पहले स्थान पर साबित हुए हैं। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के वेस्ट और नजफगढ़ जोन में हाजिरी रजिस्टर में तो हाजिरी लगाई जा रही हैं, लेकिन कर्मचारियों के द्वारा नहीं बल्कि सर्कल इंचार्ज अपनी मर्जी से ए और पी के जरिए हाजिरी और गैर हाजिरी लगाते हैं। ताकि करोड़ों की कमाई के इस फर्जीवाड़े के कोई सबूत सामने नहीं आ सकें।
छिपाए किट, दवाई और मूवमेंट के रजिस्टर
प्राप्त जानकारी के मुताबिक वेस्ट जोन और नजफगढ़ जोन में पिछले सप्ताह तक मूवमेंट रजिस्टर, किट-दवाई व मास्क रजिस्टर में कर्मचारियों से साइन कराए जा रहे थे। लेकिन अब यह रजिस्टर भी छिपा दिए गए हैं। अधिकारी खुद कर्मचारियों के रजिस्टर में मूवमेंट आदि चढ़ा रहे हैं। ताकि यह साबित नहीं हो सके कि कौन कर्मचारी कब आया था और कब नहीं। कर्मचारियों सवाल पर सर्कल इंचार्ज का कहना होता है कि यह डीएचओ के आदेश पर किया जा रहा है।
आरोपी के हाथों में मामले की जांच!
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के वेस्ट जोन में चल रहे फर्जी हाजिरी घोटाले की जांच की जिम्मेदारी उप स्वास्थ्य अधिकारी (डीएचओ) डॉक्टर सौरभ मिश्रा को सोंपी गई है। बता दें कि निगम के आला अधिकारियों को दी गई शिकायत में डॉक्टर सौरभ मिश्रा के ऊपर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पहले तो निगम अधिकारी मामले को दबाए बैठे रहे, लेकिन मामला मीडिया में आने के बाद इसकी जांच की खानापूर्ति की जा रही है। निगमकर्मियों ने सवाल उठाए हैं कि किसी भी आरोपी को अपने खिलाफ जांच की जिम्मेदारी कैसे दी जा सकती है? क्या कोई व्यक्ति अपने खिलाफ जांच करने के बाद खुद को दोषी कह सकता है।


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