रविवार, 5 जुलाई 2020

2 घंटे 43 मिनट तक रहेगा चंद्र ग्रहण

श्रीराम उपाध्याय


नई दिल्ली। चंद्र ग्रहण ज्योतिष और खगोल शास्त्र दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। बीते दिनों में 21 जून को सूर्य ग्रहण लगा था और अब 5 जुलाई को साल का तीसरा चंद्र ग्रहण लगा। जो कि एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण था। लेकिन भारत के लोग इस ग्रहण को नहीं देख पाए।


ग्रहण का समय और सूतक काल: ये ग्रहण भारत में नहीं दिखाई दिया जिस वजह से इसका सूतक काल भी मान्य नहीं था। धार्मिक मान्यताओं अनुसार सूतक काल ग्रहण लगने से पहले की वो अवधि होती है जिसमें किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते। ग्रहण की शुरुआत 5 जुलाई की सुबह 08:38 AM से हुई। इसका परमग्रास 09:59 AM पर और इसकी समाप्ति 11:21 AM पर। ग्रहण की कुल अवधि 02 घण्टे 43 मिनट की रही। अगला चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा।


चंद्र ग्रहण और उपच्छाया चंद्र ग्रहण में अंतर: चन्द्रग्रहण उस घटना को कहते हैं जब चन्द्रमा और सूर्य के बीच में धरती आ जाती है जिससे चंद्रमा आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। इससे चांद बिंब काला पड़ जाता है। आपको बता दें कि ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं और अंग्रेजी में इसको कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तब ही वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करके बिना भूभा में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल जाता है। इस स्थिति में चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं । इस धुंधलापन को सामान्य रूप से देखा भी नहीं जा सकता है। इसलिए चंद्र मालिन्य मात्र होने की वजह से ही इसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं ना कि चंद्र ग्रहण।               


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