नई दिल्ली। आइसीसी ने 1925 में अपने गठन के बाद से आज़ादी की लड़ाई को देखा है, भीषण अकाल और अन्न संकटों को देखा है और भारत का भी आप हिस्सा रहे हैं। अब इस बार की ये एजीएम एक ऐसे समय में हो रही है, जब हमारा देश मल्टीपलाई चैलेंज को चैलेंज कर रहा है।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लड़ रही है, भारत भी लड़ रहा है लेकिन अन्य तरह के संकट भी निरंतर खड़े हो रहे हैं। कहीं Flood की चुनौती, कहीं लॉकस्ट, ‘पोंगोपाल’ का कहर, कहीं ओलावृष्टि, कहीं Assam Oil-Field में आग, कहीं छोटे-छोटे Earthquake।कभी-कभी समय भी हमें परखता है, हमारी परीक्षा लेता है। कई बार अनेक कठिनाइयां, अनेक कसौटियां एक साथ आती हैं। लेकिन हमने ये भी अनुभव किया है कि इस तरह की कसौटी में हमारा कृतित्व, उज्ज्वल भविष्य की गारंटी भी लेकर आता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां कहा जाता है- मन के हारे हार, मन के जीते जीत, यानि हमारी संकल्पशक्ति, हमारी इच्छाशक्ति ही हमारा आगे का मार्ग तय करती है। जो पहले ही हार मान लेता है उसके सामने नए अवसर कम ही आते हैं। ये हमारी एकजुटता, ये एक साथ मिलकर बड़ी से बड़ी आपदा का सामना करना, ये हमारी संकल्पशक्ति, ये हमारी इच्छाशक्ति, हमारी बहुत बड़ी Strength है, एक राष्ट्र के रूप में हमारी बहुत बड़ी ताकत है। मुसीबत की दवाई मजबूती है।
गुरुवार, 11 जून 2020
मुसीबत की दवाई मजबूती हैः पीएम
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