शनिवार, 27 जून 2020

मरीजों का आरोपः बार-बार लिया सैंपल

नई दिल्‍ली। दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में कोविड के इलाज के लिए एडमिट कुछ मरीजों का आरोप है कि उनका बार-बार सैंपल लिया जा रहा है। मगर, हर बार रिपोर्ट में कुछ नहीं आता। इस वजह से उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी नहीं मिल रही है। गुरुवार को योगेश शर्मा और इंस्पेक्टर जय नारायण ने यह आरोप लगाया था, अब एक और मरीज के. विजय ने ऐसा ही आरोप लगाया है।


व‍िजय का आरोप है कि वह 35 दिनों से अस्पताल में एडमिट हैं। अब तक उनका सात बार सैंपल लिया गया है। शुरू में दो सैंपल पॉजिटिव आया और उसके बाद पांच बार और सैंपल लिया गया, लेकिन हर बार उन्हें बताया जाता है कि उनकी रिपोर्ट न तो पॉजिटिव है और न ही निगेटिव। शुक्रवार को आरएमएल अस्पताल में एडमिट के. विजय ने फोन पर बताया कि वह कोविड की वजह से 21 मई को एडमिट हुए। 35 दिन हो गए और अभी तक एडमिट हैं। शुरू में फीवर और खांसी थी। अब सब ठीक है। अब तक 7 बार सैंपल लिया जा चुका
उन्होंने कहा कि अब तक 7 बार सैंपल लिया जा चुका है। पहले दो बार सैंपल पॉजिटिव आया और उसके बाद 5 बार सैंपल में कुछ नहीं आ रहा है। तीन दिन पहले भी सैंपल लिया गया था, उसमें भी कुछ नहीं आया। आज फिर सैंपल लिया गया है। उन्होंने कहा कि वह पूरी तरह से ठीक हैं। अभी सिर्फ विटामिन-सी की सुबह शाम एक-एक गोली दी जाती है। मरीजों का यह भी आरोप है कि सैंपल तुरंत लैब में नहीं पहुंचाए जाते। वह बाहर ही पड़ा रहता है। एक मरीज ने कुछ फोटो और विडियो भी शेयर किया है, जिसमें कुछ सैंपल दिख रहे हैं। हालांकि, यह पता नहीं चल रहा है कि इसमें कोविड का सैंपल है या नहीं। अस्पताल की प्रवक्ता स्मृति तिवारी ने कहा कि बाहर कोविड सैंपल नहीं है। मरीज की रिपोर्ट इनडिटरमिनेट है। इसमें जब इन्फेक्शन बॉर्डर लाइन पर होता है तो ऐसी रिपोर्ट आती है। उन्होंने कहा कि मरीज योगेश सीवियर स्थिति में एडमिट हुए थे, अभी स्टेबल हैं। रिपोर्ट निगेटिव आए बिना उन्हें कैसे छुट्टी दी जा सकती है। के. विजय के बार में भी ऐसा ही जवाब था। इंस्पेक्टर जय नारायण के बारे में प्रवक्ता ने कहा कि वह 19 जून को एडमिट हुए हैं, अभी उन्हें ठीक होने में समय लगेगा।
बिना निगेटिव रिपोर्ट के भी मिल सकती है छुट्टी

एलएनजेपी की माइक्रोबायोलॉजी की एचओडी डॉक्टर सोनल सक्सेना ने बताया कि जब कोविड की शुरुआत हुई थी, तब मरीज को छुट्टी देने से पहले दो बार निगेटिव रिपोर्ट जरूरी थी। अब ऐसा नहीं है। अब आईसीमएआर ने रूल चेंज कर दिया है। मरीज ठीक महसूस कर रहा है, क्लिनिकली फिट है तो बिना निगेटिव रिपोर्ट आए भी छुट्टी दी जा सकती है। खासकर मॉडरेट मरीजों को बिना रिपोर्ट के छुट्टी दी जा सकती है। इनडिटरमिनेट रिपोर्ट पर उनका कहना था कि इसका मतलब यह है कि मरीज में वायरस का लोड बहुत कम है। उसके अंदर डेड आरएनए हैं। जांच में ऐसा आता रहेगा। उन्होंने कहा कि जब संक्रमण बहुत पुराना होता है तो ऐसी स्थिति बनती है।


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