मंगलवार, 16 जून 2020

दोहरे मापदंड से सवालों के घेरे में प्रशासन

बस्ती जिला प्रसाशन का दोहरा मापदंड सवालों के घेरे में बस्ती जिला प्रसाशन।।
गलती पर गलती किये जाओ कौन पूछेगा ??वाली कवायत पर अमल कर रहा जिला प्रसाशन।।


बस्ती। पहली जून को श्री कृष्णा मिशन में इलाज के दौरान मृत महिला की रिपोर्ट दो दिन बाद पाजिटिव आई, उसके दो बेटों की भी रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव आई और उन्हे रूधौली स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय एल 1 अस्पताल में एडमिट किया गया है। महिला का नाम रचना श्रीवास्तव ‘रूचि’ बताया जा रहा है। सूत्रों की माने तो वह कांशीराम कालोनी में रहती थी और मड़वानगर में भी उसका मकान था।


हैरान करने वाली खबर ये है कि बगैर रिपोर्ट आये उसकी डेड बॉडी को बगैर किसी के प्रोटाकल के अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को सुपुर्द कर दिया, अंतिम संस्कार भी मनमाने तरीके से हुआ। मोहल्ले के लोग और महिला के करीबी इसमे शामिल हुये। ऐसा क्यों हुआ इसका जवाब न तो अस्पताल प्रबंधन के पास है और न ही स्वास्थ्य महकमे के आला अफसरों के पास। महिला की रिपोर्ट आने के बाद न तो अस्पताल की सील किया गया और न ही डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ कोरेनटीन किये गये। बिलकुल उसी अव्वल दर्ते की लापरवाही सामने आ ही है जैसे जनपद के पहले कोरोना पाजिटिव हसनैन के मामले में आई थी। अस्पताल प्रबंधन की ऊंची रसूख और आर्थिक सम्पन्नता के आगे सारे नियम कानून बौने साबित हो गये। इस प्रकरण में प्रभारी सीएमओ डा. फकरेयार हुसेन ने बताया कि अस्पताल को 24 घण्टे में दो बार सेनेटाइज करने को बोला गया था। महिला के परिजनों को प्राटोकाल की जानकारी दे दी गयी थी। जबकि मृत महिला और उसके दोनो बेटों की कान्ट्रैक्ट ट्रेसिंग भी कम्प्लीट नही हुई। स्थानीय प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारी तक श्रीकृष्णा मिशन अस्पताल को बचाने में क्यों इतने रूचि ले रहे हैं समझ से परे है लेकिन रसूखदार के लिये प्रशासन द्वारा अलग मापदण्ड अपनाया जाना चर्चा में है। अस्पताल सूत्र से जानकारी ली गयी तो पता चला कि महिला की मौत एम्बुलेंस के अंदर ही हो गयी थी।


उस वक्त स्वास्थ्य महकमे के लोग भी आये थे। जबकि प्रभारी सीएमओ ने स्वीकार किया कि महिला श्री कृष्णा मिशन अस्पताल में एडमिट की गयी थी। उन्होने बताया कि वह कोरोना संदिग्ध पाये जाने पर ओपेक अस्पताल कैली में एडमिट की गयी थी। यहां से स्थिति गंभीर होने पर बीआरडी मेडिकल कालेज रिफर किया गया लेकिन परिजन वहां ने ले जाकर उसे श्रीकृष्णा मिशन अस्पताल ले गये जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी और दो दिन बाद रिपोर्ट पाजिटिव आ गयी। लेकिन इसके बाद स्थानीय प्रशासन, स्वास्थ्स महकमे और अस्पताल प्रबंधन को जो प्रोटोकाल के तहत जो कुछ करना चाहिये थे कुछ भी नही किया गया। जबकि भानपुर में इलाज कराने पहुंचे मजदूर की मौत बरामदे में हो गयी और अस्पताल सील कर दिया गया था। श्रीकृष्णा मिशन अस्पताल के साथ दोहरे मापदण्ड क्यों अपनाये जा रहे हैं ? यह सवाल लाजिमी है।


रिपोर्ट ::राहिल खान


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you, for a message universal express.

कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया

कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया पंकज कपूर  रुद्रपुर। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और भारत रत्न से सम्मानित सचिन तेंदुलक...