गुरुवार, 11 जून 2020

आरक्षण किसी का मौलिक अधिकार नहीं

सुप्रीमकोर्ट ने कहा रिजर्वेशन किसी का मौलिक अधिकार नहीं, रिजर्वेशन मामले में कोर्ट द्वारा सुप्रीम टिप्पणी, राइट टू रिजर्वेशन नही है मौलिक अधिकार



राणा ओबराय


नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने कहा रिजर्वेशन किसी का मौलिक अधिकार नहीं, रिजर्वेशन मामले में कोर्ट द्वारा सुप्रीम टिप्पणी, राइट टू रिजर्वेशन नही है मौलिक अधिकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में ओबीसी उम्मीदवारों के लिए कोटा पर सुनवाई करते हुए आरक्षण को लेकर बड़ी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। इसी के साथ अदालत ने तमिलनाडु के कई राजनीतिक दलों द्वारा दाखिल की गई एक याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि कोई भी आरक्षण के अधिकार को मौलिक अधिकार नहीं कह सकता है और इसलिए रिजर्वेशन का लाभ नहीं देना किसी भी संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं माना जा सकता है। दरअसल, डीएमके-सीपीआई-अन्नाद्रमुक समेत अन्य तमिलनाडु की कई पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में एनईईटी के तहत मेडिकल कॉलेज में सीटों को लेकर तमिलनाडु में 50 फीसदी ओबीसी आरक्षण के मामले पर याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान सवाल किया कि अनुच्छेद 32 के तहत याचिका कैसे स्वीकार की जा सकती है, क्योंकि आरक्षण मौलिक अधिकार ही नहीं है। पीठ ने कहा, ‘किसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है? अनुच्छेद 32 केवल मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए है। हम मानते हैं कि आप सभी तमिलनाडु के नागरिकों के मौलिक अधिकारों में रुचि रखते हैं। लेकिन आरक्षण का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है।



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