रविवार, 31 मई 2020

वायरस जांच 'निरीक्षण' में बड़ी लापरवाही

'मेरे पापा तो पूरी तरह फिट थे..उन्हें हुआ क्या'

 

मेरठ। चार दिन पहले जब सुभाष नगर निवासी टैक्सी चालक को मेडिकल कालेज में भर्ती कराने के लिए घर से निकले थे तो स्वजनों को आभास नहीं होगा कि अब वह कभी लौटकर नहीं आएंगे। शनिवार को सूरजकुंड श्मशान घाट पर मृतक के भाई, पत्नी, बेटी और भाभी आदि पारिवारिक सदस्य मौजूद थे। सवा तीन बजे जैसे ही स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस श्मशान घाट में पहुंची तो महिलाएं व अन्य स्वजन अचानक शव की तरफ लपके, लेकिन उन्हें रोक दिया गया। बेटा और भाई शव को चिता स्थल तक ले गए। मुखाग्नि के समय बेटी की वेदना का ज्वार फूट पड़ा। बुरी तरह बिलख रही मां को मजबूती से संभाले उसके हाथ अचानक उठे और चिता पर लेटे पिता के शव को हाथ हिलाकर जोर-जोर से अंतिम विदाई देने लगे।

मां के हाथ भी अंतिम अभिवादन के लिए हिलने लगे।

साथ आए परिजनों ने बताया कि जब जब पिता टैक्सी लेकर घर से रवाना होते थे तो बेटी इसी तरह उनका अभिवादन करती थी। जिस समय कोरोना पाजिटिव व्यक्ति का अंतिम संस्कार हो रहा था, अन्य शवों के साथ आए लोग भी जमा थे। चाहकर भी सगे-संबंधी और रिश्तेदार शव को कंधा नहीं दे पा रहे थे।

इलाज में लापरवाही का आरोप

मेडिकल कालेज में कोरोना मरीजों के इलाज में लापरवाही की आए दिन पोल खुल रही है। मां-बेटी ने बताया कि चार दिन पहले दर्द की हल्की शिकायत होने पर उन्हें मेडिकल में भर्ती कराया था। वहां कोई देखने-सुनने वाला नहीं था। पूछने पर बार-बार यही बताया जाता कि आज रिपोर्ट आएगी, कल आएगी। उनकी अन्य जांच भी ठीक पाई गई थीं। चार दिन के बाद बताया कि कोरोना संक्रमित थे। बुरी तरह बिलख रही बेटी का कहना था कि तीन भाइयों में मझले उसके पापा पूरी तरह फिट थे, उन्हें क्या हो गया। एक महिला ने बताया कि उनके देवर पर अपने और भाइयों के परिवार समेत 12-13 लोगों की परवरिश का जिम्मा था। एक महिला ने तो साजिश का अंदेशा तक जताया। आखिर, चार दिन में ऐसा क्या हुआ कि पूरी तरह स्वस्थ व्यक्ति की मौत हो गई और अब डाक्टर कह रहे हैं वह कोरोना पाजिटिव थे।

मोहल्ले वालों ने दी सूचना

कोरोना पाजिटिव पाए जाने के बाद मृतक की कालोनी सुभाष नगर को क्वारंटाइन किया गया था। जब शव को सूरजकुंड ले जाने की सूचना मिली तो परिवार की महिलाएं अंतिम दर्शन के लिए पैदल ही श्मशान घाट पहुंच गईं। स्थानीय पार्षद पवन चौधरी ने बताया कि जब उन्हें इस बात का पता चला तो सूरजकुंड पहुंचे। ढांढस बंधाकर महिलाओं को वापस लाया गया।

नहीं हुआ सैनिटाजइेशन

सूरजकुंड श्मशान घाट पर कोरोना पाजिटिव मरीजों के अंतिम संस्कार में प्रोटोकाल का पालन नहीं हो रहा है। नियमानुसार अंतिम संस्कार के समय श्मशान घाट पर कम से कम लोग रहने चाहिए। संक्रमित व्यक्ति के शव से पहले वहां तीन सामान्य शवों के अंतिम संस्कार हो रहे थे, जिनमें एक लावारिस भी था। उनके साथ आए लोग भी वहीं मौजूद थे। संक्रमित व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद वहां सैनिटाइजेशन भी नहीं हुआ।

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