शनिवार, 2 मई 2020

सोशल डिस्टेंस के प्रति समर्पित कर्मचारी

लंबी चौड़ी डींग हांकने वाले सरकारी नुमाइंदे उड़ा रहे हैं सोशल डिस्टेंस की धज्जियां


कौशांबी पूरे विश्व में कोरोना वायरस की महामारी के प्रकोप फैलने के बाद उत्पन्न हुई आपातकालीन और महामारी की स्थिति से निपटने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरे चरण के लॉक डाउन की भी घोषणा कर दी है और लॉक डाउन के दौरान सोशल डिस्टेंस बनाए रखने की लोगों से बार-बार प्रधानमंत्री अपील कर रहे हैं जिससे देश में महामारी का प्रकोप फैलने पर रोक लगाया जा सके।
 सोशल डिस्टेंस बनाये रखने लॉक डाउन का पालन करने के लिए सूबे के मुख्यमंत्री के साथ-साथ आला अधिकारी भी लोगों को सचेत कर बार बार नियमों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दे रहे हैं। काफी हद तक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में आमजनता खरी उतर रही है।


आम जनता को लॉक डाउन और सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करने का निर्देश देने वाले नगर पंचायत करारी के जिम्मेदार सरकारी नुमाइन्दे केंद्र और प्रदेश सरकार के आदेशों को खूंटी में टांग कर सोशल डिस्टेंसिंग की खुलेआम बेखोफ तरीके से धज्जियां उड़ाते हुए देखे जाते हैं। लेकिन इन  अधिकारियों और कर्मचारियों पर कानून की धज्जियां उड़ाने पर कौन कार्यवाही करेगा इन्हें कानून का पाठ कौन पढ़ाएगा यह पूरी व्यवस्था पर बड़ा सवाल है। ताजा मामला करारी नगर पंचायत के एक सफाई कर्मी के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद उसके सम्मान में आयोजित किया गया बिदाई स्वागत समारोह का है। स्वागत समारोह में नगर पंचायत के जिम्मेदार कर्मचारियों ने जमकर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई है। इसके पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में भी मीटिंग के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा चुकी हैं। इतना ही नहीं इसके पूर्ब गरीबों को भोजन पैकेट बांटने के मामले में एक विधायक और उनके समर्थकों द्वारा जमकर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गई थी।


लेकिन लॉक डाउन के दौरान घरों में रहने की अपील और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का निर्देश केवल गरीब कमजोर आम जनता तक लागू होता दिख रहा है। सरकारी नुमाइंदे और जिम्मेदार लोग योगी मोदी के निर्देश का पालन करते नहीं दिख रहे हैं। जिससे इस जिले में कोरोनावायरस की महामारी का प्रकोप यदि बढ़ा तो उसकी जवाबदेही किसकी होगी और सोशल डिस्टेनसिंग की धज्जियां उड़ाने वाले इन सरकारी नुमाइंदों की मेडिकल जांच कराते हुए इनको 14 दिनों के लिए अलग स्थानों पर रखने के साथ-साथ नियमों की अनदेखी करने के मामले में इन लापरवाह लोगों पर क्या जिला प्रशासन मुकदमा दर्ज कराएगा यह व्यवस्था पर बड़ा सवाल है।


सुशील केशरवानी


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