गुरुवार, 7 मई 2020

श्रमिकों की समस्या, कैबिनेट ने दी मंजूरी

लखनऊ। कोरोना वायरस के संकट के चलते उद्योगों के आगे आई समस्या के कारण उत्तर प्रदेश सरकार ने श्रम अधिनियम में तीन साल तक छूट प्रदान की है। इसे कैबिनेट ने बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी है। यह छूट अस्थाई होगी। अस्थाई छूट के लिए अध्यादेश 2020 के मसौदे को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी देते हुए श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बताया कि श्रमिकों की समस्या के लिए जिन इकाइयों के कार्यालय बंद पड़े हैं, उन्हें खोलने के लिए यह छूट दी गई है ताकि बाहर से जो प्रवासी श्रमिक प्रदेश में लाए जा रहे हैं उन्हें बड़े पैमाने पर काम मिल सके। 


उन्होंने बताया कि ऐसी सभी जगह पर उत्तर प्रदेश में श्रम कानून में तीन साल के लिए अस्थाई छूट प्रदान की गई है। इसके साथ ही श्रमिकों के मूलभूत हितों की रक्षा के लिए श्रम कानूनों में जो उनको संरक्षण प्राप्त है, वह यथावत रहेंगे। जिसमें बंधुआ श्रम तथा उत्पादन अधिनियम, भवन सन्निर्माण अधिनियम, कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम व बच्चों व  महिलाओं के नियोजन संबधित श्रम अधिनियम पूरे लागू रहेंगे। वेतन अधिनियम के तहत वेतन भुगतान की व्यवस्था यथावत रहेगी, उसके अतिरिक्त अन्य सुविधाएं उन्हें मिलेंगी।


श्रम मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 38 श्रम कानून लागू हैं। किसी भी उद्योग के खिलाफ लेबर डिपार्टमेंट एनफोर्समेंट नियम के तहत कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस दौरान श्रम विभाग का प्रवर्तन दल श्रम कानून के अनुपालन के लिए उनके यहां नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि जो उद्योग कोरोना महासंकट के चलते बंद हैं या कमजोर हैं, उन्हें श्रम कानून में नरमी से फिर से चालू किया जा सकेगा। व्यापारिक प्रतिष्ठानों को फिर से चालू किया जा सके और श्रमिकों को इसमें सेवायोजित किया जा सके, इस मंशा से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।


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