कोरोना एक महामारी है,विश्वव्याप्त महामारी ,इसमें कोई शक नहीं ,यह एक जानलेवा बीमारी है ,लाइलाज भी I इसकी दवा बनाना डॉक्टर्स एवं इससे जुड़े अनुसंधानकर्ताओंके लिए चुनौती है। परन्तु हम-आप ,साधारण जन अपने धैर्य ,संयम और जीने के तौर तरीके के द्वारा इस कोरोना रूपी यमराज को परास्त कर सकते हैं ,इसे अपने तक पहुचने से रोक सकते हैं I आराम से ,परन्तु सावधानीपूर्वक,संयम के द्वारा ,समाजिक दूरी बनाकर, यही एक उपाय है क्योंकि इसके आगे सरकार क्या ? चिकित्सक भी बेवस है I इस परिस्थिति में आपका अपना वर्तमान और भविष्य भी आपके ही हाथ है I
कोरोना के डर से अगर हम यह सोच लें कि हमें घर से नहीं निकलना है ,और जान बचाने के लिये घर में सो कर समय व्यतित करना है तो यह हमारी मूर्खता है ,खाली बैठे रहना भी एक प्रकार का कर्म ही जिसका परिणाम हमें आर्थिक हानि एवं समय की हानि के रूप में मिलता है I ये कोई नई चीज नहीं है इससे पहले भी इस तरह की महामारियों का सामना हमारे पूर्वजों ने कई वार किये हैं तब तो उनके पास कोई संसाधन भी नहीं था ,यहाँ तक कि साधरण बुखार,सर्दी –खांसी में ही दम तोड़ देते थे और कई गंभीर असाध्य बीमारी में भी पेड़-पौधों के पत्तियों, उनके जड़ें आदि खा कर ही स्वश्थ्य होते थे परन्तु अपना कर्म करने से कभी नहीं चूकतेI
इसलिए कर्म के प्रति कभी भी उदासीन नहीं होना चाहिये ,कर्म करते रहना चाहिए ,रास्ते बदल सकते हैं पर मंजिल कभी नहीं भूलना चाहिए I कोरोना वायरस के संकर्मण से बच कर ( सामाजिक दूरी बना कर, साफ सफाई के नियमों का पालन कर ,संयम और धर्य से, जीवन जीने के तौर तरीके अपना कर ,आदि ) अपनी क्षमता, बुद्धि और ,विवेक के आधार पर परिस्थिति के अनुसार हमें निरंतर कर्म करते रहना होगा I जो व्यक्ति जिस काम में हों, विद्ध्यार्थियों के लिए पढाई का काम, शिक्षकों का पढ़ने और पढ़ाने का काम ,व्यापारियों के लिए व्यापर का काम , किसानों के लिए खेती का काम ,मजदूरों के लिए मजदूरी का काम, सैनिकों के लिए देश की शुरक्षा का काम ,अथवा समाज सेवा से जुड़े हुए लोगों के लिए सामाजिक काम हो ,अपना काम करना ही होगा I विना कर्म किए हम अपने शारीर का पालन पोषण कर ही नही सकते I
सामाजिक दूरी बना कर रखें, स्वस्थ्य और शुरक्षित रहने के नियमों का पालन करें , ,वैकल्पिक रास्ते अपनायें, काम करने के तरीके बेशक बदल दें, परन्तु आप अपना काम करना नहीं छोड़ें I यही एक साध्य है जिसके माध्यम से हम कोविड ‘19’ को पराजित कर सकते हैं I
डा.कृष्णा मोहन ईश्वर
प्राचार्य-सीआरसी पब्लिक स्कूल
गुरुवार, 14 मई 2020
कर्तव्य परायणता 'विश्लेषण'
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