बुधवार, 6 मई 2020

'बुध परिपथ' पर सरकार को लताड़ा

संसदीय समिति ने सरकार को लताड़ा


नई दिल्ली। दुनियाभर में आकर्षण का केंद्र रहे भगवान बुद्ध के जीवन दर्शन से जुड़े प्रमुख स्थलों को टूरिजम मैप से जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी योजना 'बुद्ध परिपथ' (सर्किट) वित्तीय आवंटन की भारी कमी से जूझ रही है। संसद की एक समिति ने 1985 में शुरू की गई इस योजना के लिए बेहद कम राशि का आवंटन करने को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया है। दरअसल, बुद्ध परिपथ परियोजना के लिए पर्यटन मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में अब तक महज एक लाख रुपये जारी किए हैं। समिति ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, 'एक निवेशयोग्य, सम्मान के हकदार, जीवंत और व्यवहार्य पर्यटन गंतव्य के रूप में बौद्ध परिपथ के विकास के लिए यह लापरवाहीपूर्ण रवैये का उदाहरण है।'


ट्रांसपोर्ट, टूरिजम और कल्चर संबंधी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में परियोजना की धीमी गति का जिक्र करते हुए यह जानकारी दी गई है। 'भारत में बौद्ध परिपथ के विकास' पर संसद के दोनों सदनों में शुक्रवार को पेश रिपोर्ट के अनुसार, पर्यटन मंत्रालय द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 में बौद्ध परिपथ के विकास के लिए 0.01 करोड़ रुपये की नाममात्र की राशि आवंटित की गई है। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक'ब्रायन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट के अनुसार, पर्यटन मंत्रालय के पास इस साल 2150 करोड़ रुपये का कुल बजट है। इसमें से 1100 करोड़ रुपये 'स्वदेश दर्शन योजना' और 150 करोड़ रुपये 'प्रसाद योजना' के लिए आवंटित किए गए हैं। 


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