रविवार, 17 मई 2020

27 मई को दिखेगा 'हरे बर्फ' का गोला

नई दिल्ली। साल 2020 कई अजीबोगरीब घटनाओं के लिए याद रखा जाएगा। साल की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया के जंगल में लगी आग से शुरू हुई थी। इसके बाद तो चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस ने जो तांडव शुरू किया, उसका असर ऐसा हुआ कि दुनिया के कई देश लाशों के ढेर में बदल गया। इस बीच अप्रैल से अंतरिक्ष में भी हलचल शुरू हो गए। 29 अप्रैल को तो अंतरिक्ष से गिरने वाले एक उल्कापिंड से दुनिया के खत्म होने की भी बात आई। हालांकि, ये उल्कापिंड पृथ्वी के नजदीक से गुजर गया। इसके बाद से अभी तक कई छोटे उल्कापिंड आए दिन अंतरिक्ष से पृथ्वी पर गिर ही रहे हैं। अब सूरज से एक विशाल धूमकेतु पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है। इस धूमकेतु को एस्ट्रोनॉमर ने अप्रैल में ही ढूंढा था। इसकी तस्वीरें  NASA/ESA के मॉनेटरिंग स्पेसशिप से ली गई। कहा जा रहा है कि जब ये धूमकेतु जब पृथ्वी की सतह पर आएगा तब आसमान हरा हो जाएगा। स्वान धूमकेतु तेजी से अंतरिक्ष से गिरता हुआ पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है। इस धूमकेतु की 11 मिलियन लंबी पूंछ इसकी खासियत बन गई है। स्वान धूमकेतु अब पृथ्वी की सतह पर पहुंच गया है। एस्ट्रोनॉमर्स के मुताबिक मई के आखिरी तक में ये धरती के बेहद नजदीक आ जाएगा।
स्वान धूमकेतु अब पृथ्वी की सतह पर पहुंच गया है। एस्ट्रोनॉमर्स के मुताबिक मई के आखिरी तक में ये धरती के बेहद नजदीक आ जाएगा। साथ ही इसका भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसे बिना टेलिस्कोप की मदद से देखा जा सकता है। बस शर्त ये है कि बीच में ये किसी दूसरे धूमकेतु से टकरा कर टूट ना जाए।


साथ ही इसका भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसे बिना टेलिस्कोप की मदद से देखा जा सकता है। बस शर्त ये है कि बीच में ये किसी दूसरे धूमकेतु से टकरा कर टूट ना जाए। इस बर्फ के गेंद को सबसे पहले अप्रैल में ऑस्ट्रेलिया के एस्ट्रोनॉमर माइकल मटियाजो ने देखा था। अभी ये धूमकेतु हमसे करीब 53 मिलियन की दुरी पर है। जिस स्पीड से ये पृथ्वी की तरफ गिर रहा है, उसके मुताबिक, ये मई के आखिरी में धरती से टकराएगा।
इस बर्फ के गेंद को सबसे पहले अप्रैल में ऑस्ट्रेलिया के एस्ट्रोनॉमर माइकल मटियाजो ने देखा था। अभी ये धूमकेतु हमसे करीब 53 मिलियन की दुरी पर है। जिस स्पीड से ये पृथ्वी की तरफ गिर रहा है, उसके मुताबिक, ये मई के आखिरी में धरती से टकराएगा। इसे साउथर्न हेमिस्फेयर से साथ देखा जा पाएगा। वहीं नॉर्दर्न हेमिस्फेयर में इसे शाम के वक्त देखा जा पाएगा। इसे साउथर्न हेमिस्फेयर से साथ देखा जा पाएगा। वहीं नॉर्दर्न हेमिस्फेयर में इसे शाम के वक्त देखा जा पाएगा।    एस्ट्रोनॉमर्स के मुताबिक, हरे पूंछ वाला बर्फ का ये गोला हर 11 हजार 597 साल में एक बार पृथ्वी से टकराता है। इससे कोई नुकसान नहीं होता लेकिन आसमान हरे रंग में बदल जाता है।


एस्ट्रोनॉमर्स के मुताबिक, हरे पूंछ वाला बर्फ का ये गोला हर 11 हजार 597 साल में एक बार पृथ्वी से टकराता है। इससे कोई नुकसान नहीं होता लेकिन आसमान हरे रंग में बदल जाता है।  27 मई को बर्फ का ये गोला साफ़ देखा जा पाएगा। इसकी लंबी पूंछ ने इसे चर्चा का विषय बना दिया है। अगर आपके पास छोटा टेलिस्कोप है, तो ये और भी साफ़ दिखाई देगा। वरना ये नंगी आंखों से भी देखी जा पाएगी।
27 मई को बर्फ का ये गोला साफ़ देखा जा पाएगा। इसकी लंबी पूंछ ने इसे चर्चा का विषय बना दिया है। अगर आपके पास छोटा टेलिस्कोप है, तो ये और भी साफ़ दिखाई देगा। वरना ये नंगी आंखों से भी देखी जा पाएगी।


एस्ट्रोनॉमर्स ने बताया कि ये सूरज से जितना नजदीक होगा, उतनी ज्यादा चमक बढ़ जाएगी। लेकिन इसके भी चान्सेस हैं कि ये छोटे टुकड़ों में टूट जाए।
एस्ट्रोनॉमर्स ने बताया कि ये सूरज से जितना नजदीक होगा, उतनी ज्यादा चमक बढ़ जाए। लेकिन इसके भी चान्सेस हैं कि ये छोटे टुकड़ों में टूट जाऐगा। बता दें कि धूमकेतु बर्फ या मीथेन से भरा पत्थर का वो टुकड़ा होता है जो सोलर सिस्टम के चक्कर लगाता रहता है। कई बार ये पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से खींचकर धरती से टकरा जाता है। बता दें कि धूमकेतु बर्फ या मीथेन से भरा पत्थर का वो टुकड़ा होता है जो सोलर सिस्टम के चक्कर लगाता रहता है। कई बार ये पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से खींचकर धरती से टकरा जाता है।


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