सोमवार, 20 अप्रैल 2020

वायरसः निपटने की कार्य- योजना तैयार

केरल के सैकड़ों छात्र वुहान में विभिन्न प्रोफेशनल कोर्स में पढ़ाई करते थे और डर था कि वे घर लौटेंगे तो वायरस का प्रकोप भी साथ ला सकते हैं।


तिरुवंतपुरम। राज्य केरल में निपाह वायरस के प्रकोप के दौरान मोर्चा संभाल चुकीं, जिंदादिल स्वास्थ्य मंत्री को नॉवेल कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटने की कार्य-योजना तैयार करनी थी। उसी दिन वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के तीन छात्र अलप्पुझा, त्रिशूर और कासरगोड के अपने घर लौटे थे और घर में ही क्वारंटीन में थे। इनमें से एक भारत का पेशेंट जीरो (पहला मरीज) कहलाया तो राज्य पूरी तरह हरकत में आ गया। तिरुवनंतपुरम के सरकारी अस्पताल के परिसर में एक कंट्रोल रूम बनाया जा चुका था. संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए राज्य का प्रशासन रणनीति तैयार कर चुका था मगर चिंता की वजह कोई एक तो थी नहीं। केरल देश के दूसर राज्यों के मुकाबले दुनिया से कुछ अलग तरह से जुड़ा हुआ है। यहां के आप्रवासियों की आबादी 25 लाख है और चार अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों से हर साल करीब 1.7 करोड़ यात्री आवाजाही करते हैं। प्रति वर्ग किलोमीटर 819 जनसंख्या घनत्व के साथ यह देश में आठवां सबसे अधिक आबादी घनत्व वाला राज्य है। लेकिन उसके पास दो ट्रंप कार्ड भी हैं—एक, विश्वस्तरीय स्वास्थ्य व्यवस्था और दूसरा, 2018 में घातक निपाह वायरस के प्रकोप पर काबू पाने का अनुभव।


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