शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

प्रथमः रामनवमी पर 'सरयू स्नान' नहीं

अयाेध्या। लॉकडाउन के चलते गुरूवार काे प्रसिद्ध रामनवमी पर्व पर एक भी श्रद्धालु सरयू स्नान नहीं कर पाए। काेराेना के कारण प्रशासन ने पहले ही सरयू में सामूहिक स्नान करने पर राेक लगा रखा है। 
 
  लॉकडाउन के कारण श्रद्धालुओं के अयाेध्या आने पर प्रशासन ने पाबंदी लगा रखी है। जिसका रामनवमी के दिन कड़ाई से पालन किया गया। नगरी में प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद दिखा। लाउडस्पीकर द्वारा जिला प्रशासन की तरफ से घूम-घूमकर अयाेध्यावासियाें और श्रद्धालुओं काे हिदायत दिया जा रहा था कि काेई भी व्यक्ति घर से बाहर सरयू स्नान के लिए न निकले। न ही किसी मठ-मन्दिर में रामजन्माेत्सव मनाए जाएं। सभी लाेग अपने घराें में ही भगवान राम का जन्माेत्सव मनायें। यदि काेई भी व्यक्ति सरयू स्नान व रामजन्माेत्सव में शामिल हाेने के लिए घर से बाहर निकलता है। या कहीं अधिक भीड़ लगाता है। ताे उसके विरूद्ध दण्डात्मक कार्रवाई की जायेगी। 
 
 काेराेना के कारण गुरूवार काे लाखाें वर्षाें की परम्परा पर ग्रहण लग गया। या यूं कह लें कि आस्था पर काेराेना भारी पड़ गया। जहां प्रतिवर्ष रामनवमी के दिन 20 से 25 लाख श्रद्धालु अयाेध्या आकर आस्था की डुबकी लगाते थे। साथ ही प्रमुख मठ-मन्दिराें में रामजन्माेत्सव में सम्मिलित हाेते हैं। लेकिन इस बार नजारा कुछ और ही था। सरयू स्नान घाटाें पर सन्नाटा पसरा रहा। श्रद्धालुगण पूरी तरह स्नान से नदारद दिखे। पूरा सरयू घाट रैपिड एक्शन फाेर्स व पीएसी के हवाले दिखा। रामनगरी में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल के जवान तैनात रहे। अयाेध्या की पूरी सीमा काे चाराें तरफ से सील कर दिया गया था। बाहरी व्यक्तियाें के आने पर पूर्णता पाबंदी रही। कल तक प्रसिद्ध रामनवमी पर्व के दिन रामनगरी की जाे सड़कें श्रद्धालुओं की भारी-भीड़ से पटी रहती थीं। वह आज खाली-खाली दिखी, धर्मनगरी में सड़काें पर चाराें ओर सन्नाटा पसरा रहा। सड़काें पर सिर्फ नीली व खाकी वर्दी के ही जवान दिखलाई पड़े रहे थे। यहां तक कि सरयू स्नान घाटाें पर भी पूरी तरह से सन्नाटा पसरा रहा। घाटाें से श्रद्धालुगण नदारद दिखे। जाे सरयू स्नानघाट रामजन्माेत्सव के दिन रामभक्ताें से खचाखच पटे रहते थे। जहां श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाकर दान-पुण्य करते थे। वह घाट आज वीरान पड़े रहे। वहां पूरी तरह से भय और बंदिशाें का माहाैल कायम था। हर ओर सन्नाटा पसरा रहा। 
 
 अयाेध्या की महिमा किसी से भी छिपी नहीं है। जहां मान्यता है कि दूसराें के पाप धाेने वाले तीर्थराज प्रयाग खुद रामनवमी के दिन अयाेध्यानगरी आकर सरयू स्नान कर अपने पाप धुलते हैं। इस दिन सभी तीर्थ अयाेध्यानगरी में माैजूद रहते हैं। जिस पर यह पंक्ति एकदम सटीक बैठती है- "जेहि दिन रामजनम श्रुति गावंहि, तीरथ सकल तहां चली आवंहि"। ऐसी अयाेध्यानगरी के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। जब रामनवमी पर्व पर काेई भी स्नान नहीं करने पाया।


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