मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

पीड़ा के एहसास से छलक आए आंसू

आदिल


गाजियाबाद। मानव कल्याण चैरिटेबल फाउंडेशन राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र त्यागी अपने पदाधिकारियों के साथ टीला शाहबाजपुर गांव के सामने महाराणा प्रताप के वंशज पिछले 5 वर्षों से रोड के किनारे झुग्गियों में निवास कर रहे थे। लॉक डाउन के चलते जीवन यापन करना दुर्लभ हो चला था। अपना छोटा सा लोहार का व्यवसाय 28 दिन से बंद होने के कारण भूखे मरने के कगार पर आ चुके थे। 2 दिन भूख से लड़ रहे थे यह समाज स्वाभिमानी होता है। किसी के आगे हाथ नहीं फैलाता जिस कारण उन्होंने किसी से कहा भी नहीं किसी परिचित के माध्यम से पता चला वहां जाकर 10 किलो आटा 2 किलो चावल एक नमक की थैली 5 किलो आलू हाथ धोने के लिए साबुन जब उनके पास छोटी सी सेवा लेकर पहुंचे, हमारी आंखों में भी आंसू आ गए। छोटे-छोटे बच्चे जो भूखे थे उनकी आंखों में खुशी देखकर आज लगा हमने जीवन में कोई अच्छा काम किया है। हमने उन्हें भरोसा दिलाया  हम तुम्हारे साथ हैं तुम अकेले नहीं हो हमारे  सम्राट महाराणा प्रताप ने 45 वर्ष घास की रोटी खाकर अपना जीवन बिताया था तो हम हाथ कैसे फैला सकते हैं। चित्तौड़गढ़ से हम निकले और हमने कसम खाई थी। हम कभी पक्के मकानों में नहीं रहेंगे धन्यवाद करते हैं मानव कल्याण चैरिटेबल फाउंडेशन का जिन्होंने हमारी मदद देवदूत बनकर हमारे बीच पहुंचे भगवान से प्रार्थना करते हैं। इनके संस्था को और इनकी छाती को और फैलाएं।


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