गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

पत्रकारिता का चिंतन 'स्वाध्याय'

पत्रकार
करोना महामारी में एक बात अजीब देखने मिली और शायद इस तरफ किसी का ध्यान नही गया । क्यों?
पत्रकार जहां इस करोना महामारी में देश के शासन-प्रशासन से कंधा मिलाकर लड़ने की कोशिश कर रहा है। हम उन बड़े चैनलों की बात नही कर रहेे है। क्योंकि उन्हें तो सैलरी मिल रही है लेकिन हमारे देश के स्थानीय पत्रकार जैसे साप्ताहिक, दैनिक, न्युज पोर्टल वाले भी इस समय परेशान हैं। वह किसी से अपनी परेशानी नही बयान कर पा रहे हैं। लेकिन हमारे देश में पत्रकारों के हित हेतु हजारों संस्थाए काम कर रही है। लेकिन लाकडान को 25दिन हो गए, आज तक गरीब पत्रकारों के बिषय में न प्रधानमंत्री, न ही किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री ,न ही किसी मंत्री, न ही किसी एमपी ,एमएलए,न ही को पत्रकारों की भलाई हेतु बनाई गई संस्था अभी तक किसी ने भी इस विषय पर कुछ कहा नही ।हमारे देश के दानवीरों को भी इनका ध्यान नही है। क्या जानबूझकर या उन्हे इनकी याद नही आई? यह एक विडम्बना ही है देश के शासन प्रशासन से कंधा मिलाकर पत्रकारों को लोग क्युं भूल रहे हैं।उनका भी ध्यान रखा जाए। सभी से मेरी अपील है
करोना महामारी से लडकर हम जरूर कामयाब होंगे।


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