मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

नहीं जलेंगे अकि़दत के चराग़

पुरखों की क़ब्रों पर नहीं जलेंगे अक़िदत के चरॉग़,घरों में होगी फातिहाख्वानी


प्रयागराज। कोरोना वॉयरस की महामारी और लॉक डाउन की पाबन्दी को देखते हुए शबे बारात पर इस वर्ष पुरखों की क़ब्रें वीरान रहेंगी। शासन के आदेश के अनूपालन में जहाँ मस्जिदों में बा जमात नमाज़ पढ़ने पर पुरी तरहा रोक है। वहीं शबे बारात पर क़बरिस्तान पर जा कर अपने पुरखों की क़ब्रों पर चरागाँ कर फातेहा पढ़ने पर भी ओलमाओं ने सखती से मनाही की है। शहर क़ाज़ी क़ारी मक़बूल हबीबी साहब,शिया जामा मस्जिद के पेश इमाम हसन रज़ा ज़ैदी साहब,चकिया करबला क़बरिस्तान के मुतावल्ली असग़र अब्बास,शेरु भाई समेत शहर के सभी मस्जिदों के इन्तेज़ामकार कमेटियों ने पहले से लोगों को ताकीद कर दी है की कोई भी क़बरिस्तान न जाए अपने अपने घरों में रहकर नज़्रो नियाज़ दिलाए और इबादत करे।सभी ज़िम्मेदार लोगों ने शासन प्रशासन को पूरा सहयोग देने का वायदा भी किया है।समाजिक व धार्मिक संस्था उम्मुल बनीन सोसाईटी के महासचिव सै०मो०अस्करी के मुताबिक़ बुधवार ८अप्रैल को पुरखों को याद करने का वार्षिक पर्व शबे बरात पर बड़ी संख्या मे मुस्लिम समुदाय क़बरिस्तान,दरगाहों,मज़ारों पर रात भर मोमबत्ती जला कर क़ब्रों को चरागाँ करता है और फातेहा पढ़ कर अपने पुरखों की मग़फिरत को दूआ करता है।घरों में हलवे और खाने पर नज्रो नियाज़ दिलाने के बाद लोग क़बरिस्तान का रुख करते हैं जो रात भर जारी रहता है।अस्करी ने लोगों से अपील की है की इस वक़्त देश बड़ी विपदा से घिरा है लगातार कोरोना वॉयरस के मरिज़ो मे बढ़ोतरी हो रही है इस वक़्त लोगों को घरों में रह कर लॉक डाऊन को शत प्रतिशत अमल मे लाना होगा।घरों में ही फातेहा पढ़ें।रात भर जग कर अल्लाह की बारगाह में इबादत करें की इस वक़्त दूनिया में कोरोना वॉयरस जैसी वबा से हम सब को महफूज़ रखे ।


बृजेश केसरवानी


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