शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

28 वर्ष बाद मंदिर में राम जन्मोत्सव

अयोध्या। 'भये प्रगट कृपाला दीनदयाला, काैशल्या हितकारी'। नाैमी तिथि मधुमास पुनीता, शुक्ल पक्ष अभिजित हरिप्रीता।' यह बाेल है रामनगरी में श्रीरामजन्माेत्सव के। जहां मठ-मन्दिराें में प्रभु श्रीराम का जन्माेत्सव धूमधाम के साथ सादगी पूर्वक मनाया गया।
 
  गुरुवार काे दाेपहार 12 बजते ही घण्टे-घड़ियालाें व शंखनाद की करतलध्वनि के बीच अभिजित मुहूर्त में भगवान राम का प्राकट्य हाेता है, चारों ओर रामलला की जय-जयकार हाेने लगती है। इस खुशी में मन्दिराें में बधाइयां गीत गाए जाते हैं। हालांकि काेराेना के कारण फुल लॉकडाउन के चलते इस बार श्रद्धालुगण मंदिरों में रामजन्माेत्सव से नदारद दिखें। लाेगाें ने अपने घराें व मन्दिराें में स्वयं प्रतीकात्मक रूप से रामजन्माेत्सव मनाया। 
 
 इसी कड़ी में 28 साल बाद अस्थाई मन्दिर में रामलला का जन्माेत्सव मनाया गया। इस दौरान भगवान अपने भाईयों समेत रेशमी पीले रंग वस्त्र में नजर आये। जिसकी मनाेरमता देखते ही बन रही थी।  
 
  रामजन्मभूमि के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येन्द्र दास पूजन-अर्चन कर रामलला की आरती उतारते हैं। तत्पश्चात वहां पुलिसकर्मियाें काे प्रसाद बांटा जाता है। रामलला के जन्माेत्सव का साक्षी वहां माैजूद सुरक्षाकर्मी बनते हैं। हालांकि फेसबुक सहित सोशल मीडिया पर लाइव द्वारा लाेग रामलला के जन्म महाेत्सव का दर्शन करते हैं। रामकोट मुहल्ले में स्थित प्रभु श्रीराम की प्रधान पीठ कनक भवन में दाेपहार 12 बजे भगवान राम का जन्म हाेता है। मन्दिर के प्रधान पुजारी ने पूजन-अर्चन कर भगवान की आरती उतारी। भक्त अपने घराें से ही फेसबुक लाइव से कनक बिहारी सरकार के जन्माेत्सव का हिस्सा बनते हैं। वहीं कनक भवन परिसर में लालसाहब दरबार में बड़े ही भव्यता के साथ प्रभु श्रीराम का जन्माेत्सव मनाया गया। महाेत्सव काे पीठ के वर्तमान महन्त जानकी शरण महाराज ने अपनी सानिध्यता प्रदान की। 
 
  इस अवसर पर आश्रम के उत्तराधिकारी रामनरेश शरण समेत अन्य उपस्थित रहे। राम नवमी तिथि पर मणिराम छावनी में राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के दिशा-निर्देशन में रामनवमी पर्व मनाया गया। मन्दिर गर्भ ग्रह काे बड़े ही सुन्दरता के साथ सजाया गया था, जिसकी मनाेरमता देखते हुए बन रही थी। जानकी घाट स्थित राम बल्ल भा कुंज में राम जन्मोत्सव के बाद अधिकारी संत राजकुमार दास ने कहाकि लॉकडाउन हाेने की वजह से श्रद्धालु नहीं आने पाए। इसलिए आश्रम के लाेगाें ने ही मिलकर महाेत्सव मनाया। 
 
इस अवसर पर महन्त रमा शकर शरण वेदांती व सहित मंदिर के संत विद्यार्थी उपस्थित रहे। सदगुरु सदन गाेलघाट के महंत सिया किशोरी शरण ने कहाकि रामजन्माेत्सव पर पूरे मन्दिर परिसर काे विविध प्रकार के फूलाें सजाया से गया था। दाेपहार में भगवान के आरती-पूजन के बाद भक्ताें काे प्रसाद बांटा गया। उन्होंने कहाकि 'जेहि दिन रामजनम श्रुति गावंहि, तीरथ सकल तहां चली आवंहि।।' अर्थात जिस दिन भगवान राम का जन्म हाेता है। उसी दिन सभी तीर्थ अयाेध्या आते हैं। यहां आकर सरयू स्नान कर पुण्य के भागी बनते हैं। 
 
 इसी तरह के कौसलेस कुंज में रामा नुजाचर्या विद्याभस्कर मार्गदर्शन में भगवान राम का प्राकट्याेत्सव मनाया जाता है। दशरथ महल के महंत बिंदु गद्याचार्या देवेन्द् प्रसा दा चर्या ने प्रभु के जन्म बाद नामचीन गायकाें व किन्नराें द्वारा अनेकानेक बधइया गीत गाए जाते हैं। इससे पूरे मन्दिर परिसर में अद्भुत छटा निखरती है। 
 
 इसके अलावा अयाेध्या के हनुमागढ़ी, बड़ी छावनी, मणिरामदास छावनी, श्रीरामवल्लभाकुंज, दशरथ महल, हनुमान बाग, जानकी महल, रंगमहल, लवकुश मन्दिर, काेशलेश सदन, अशर्फी भवन, ताेताद्रिमठ, वेदमंदिर, लक्ष्मणकिला, सदगुरू सदन, रामसखी मन्दिर वासुदेवघाट स्थित प्रियाप्रीतम केलिकुंज में महन्त रामगाेविन्द शरण महाराज ,सीताकान्त सदन, गाेलघाट के महन्त रामानुज शरण, समेत अन्य मन्दिराें में भी रामजन्माेत्सव हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया।


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