बुधवार, 25 मार्च 2020

विचित्र अंतर्द्वंद 'संपादकीय'

     देश में पत्रकारिता से जुड़ा हुआ एक बड़ा वर्ग सूचनाओं का साझाकरण करने का कार्य करता रहा है। समाचार पत्रों, न्यूज़ चैनल्स, पोर्टल एवं सोशल ऐप के जरिए सूचना प्रसारण-प्रकाशन करना ज्यादा सरल और सुगम बन गया है। कुछेक पत्रकारों ने निजी स्वार्थ में समाचारों का भावार्थ बदलने का कार्य किया है। कुछेक गलती से इस प्रोफेशनल से जुड़ गए हैं जो अपनी आजीविका चलाने के माध्यम से किसी नेता अथवा अधिकारी की चाटुकारिता को ही पत्रकारिता समझ बैठे। इससे पत्रकारिता की परिभाषा बदलने की पुरजोर कोशिश तो की गई। लेकिन पत्रकारिता स्थिर और अमित बनी रही। जो लोग छूट भैया नेताओं के लिए पत्रकारिता के बोझ तले दबे मरे जाते हैं। उन्हें आज उत्पन्न हालात ने एक ऐसा मौका दिया है। जिससे उन्हें अपने किए पर पश्चाताप करने का अवसर तो मिला ही है। साथ-साथ संकट के समय में देश के प्रति समर्पित भावना से अपने कर्तव्य को करने का अवसर भी मिला है। देश के प्रत्येक नागरिक की अहमियत को समझना, उनका मार्गदर्शन करना,  और विषम-विपरीत स्थिति में वास्तविकता से रूबरू कराने का अवसर मिला है। समर्पण भाव से जो भी इस कार्य को कर पाएगा। वह पारितोषिक का हकदार होगा। आज देश को स्पष्ट और सटीक सूचनाओं की आवश्यकता है। कोरोना वायरस(कोविड-19) एक वैश्विक महामारी का रूप ले चुका है। जिस पर विजय पाने की योजनाओं पर हम आगे बढ़ चले हैं। "राष्ट्र हित" में अपना योगदान करने का महत्वपूर्ण समय हमारे सामने हैं। प्रधानमंत्री के द्वारा 21 दिन तक चलने वाला "लॉक डाउन" सभी के लिए नए अनुभव कराने का कार्य करेगा। ज्ञात-अज्ञात अनुभव के लिए कमर कसने का उचित समय है। अपने-अपने कार्यक्षेत्र अथवा सीमा-दायरों में घटने वाली अप्रिय घटनाओं, मार्मिकता, उद्दंडता और अनदेखी का प्रसारण-प्रकाशन जनता के लिए अति आवश्यक है। जनता को वास्तविक स्थिति का अवलोकन कराना ही हमारा दायित्व है। भूखमरी-तंगहाली आदि से पीड़ित लोगों की आवाज बन कर,सह्रदय से राष्ट्र को समर्पित पत्रकारिता के प्रति निश्चय कर, निष्ठा से काम करें करने का समय है।


राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'


 


गांव में रहिये चाहे, शहर में रहिये,
इंडिया 'लॉक डाउन' हैं,घर में रहीये।


जाना नहीं है, ऑनलाइन दफ्तर में रहिए। 
इंडिया 'लॉक डाउन' हैं, घर में रहिये। 


दिल्ली, मुंबई या अलवर में रहिये, 
इंडिया 'लॉक डाउन' हैं, घर में रहिए।


क्या चाहिए, अपनों की नजर में रहिए।


बाहर खडा है रावण, लक्ष्मण रेखा के अंदर रहिए।


इंडिया 'लॉकडाउन' हैं, घर में रहिए।


'सिराज' मोहम्मद सिराज


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