मंगलवार, 3 मार्च 2020

वन्य-जीवन कहीं न कहीं मानव-जीवन

वन्य जीवन या वाइल्ड लाइफ कहीं न कहीं मानव जीवन, पर्यावरण से संबंधित हैं। अगर वन्य जीवन प्रभावित होता है तो सीधा असर पर्यावरण पर पड़ता है और पर्यावरण प्रभावित होगा तो उसका असर मानव जीवन व मानव स्वास्थ्य पर होगा। इसलिए वन्य जीवो को गोद ले तभी उनका संरक्षण हो सकता है।


उक्त बातें आज मंगलवार को विश्व वन जीव दिवस के अवसर पर इंडो नेपाल न्यूज़ से एक मुलाकात में सोनौली सन्यास आश्रम के महंत स्वामी अखिलेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहां कि वन्य जीव के बारे में सभी जागरूक रहें। और वन्य जीवों को संरक्षित करने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना चहिए।
उन्होने कहां कि विश्व वन्य जीव प्राणी दिवस मनाये के बजाय सरकार को वन्य जीव के संरक्षण की ओर ध्यान देना चाहिए। लाखों रूपये बैनर, होर्डिंग व पोस्टर इत्यादि पर खर्च करने के अपेक्षा यदि जो स्वयसेवी संगठन, राज्य एवं केन्द्र सरकार मिलकर जीव के संरक्षण के प्रति गम्भीर हो तो यह एक सार्थक प्रयास होगा।
जब से शिष्टी की रचना हुई आज तक बहुत से जीव लुप्त होते जा रहे है और कुछ बचे भी हैं तो उनकी संख्या न के बराबर है। जैसे- बाघों की संख्या 1411, भारतीय हाथी 26 हजार हैं और ऐशियाई शेर मात्र 411, एक सिंग ऐशियाई वाला गेण्डा 2100 है तो यदि इस प्रकार से इनका दोहन होता रहा, इनके खाल व तमाम अंगों का तस्करी होता रहा तो एक दिन ऐसा समय आयेगा यह जो है बिलकुल लुप्त हो जायेगें और हम सिर्फ तस्बीरों में इनको देखेंगे।


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