गुरुवार, 5 मार्च 2020

सोशल मीडिया के लिए नया कानून

नई दिल्ली। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री मोदी ने जब सोशल मीडिया से दूरी बनाने के संकेत दिए तो हड़कंप मच गया। हालांकि दूसरे दिन उन्होंने स्थिति स्पष्ट की कि फिलहाल वे सोशल मीडिया से दूर नहीं हो रहे हैं। बात आई गई हो गई। लेकिन ताजा जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार सोशल मीडिया और मैसेजिंग एप्स के लिए नया कानून बना रही है। इस महीने के अंत तक यह कानून आने की संभावना है। इसमें ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिससे फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और टिकटॉक को सरकारी एजेंसियों द्वारा मांगे जाने पर यूजर की पहचान का खुलासा करना होगा। स्पष्ट है कि नया कानून आने पर देश के करीब 40 करोड़ सोशल मीडिया यूजर्स की गोपनीयता खत्म हो जाएगी। इतना ही नहीं, सूत्रों के अनुसार सोशल मीडिया का नया कानून चीन जैसा कड़ा होगा। संभावना जताई जा रही है कि फेक न्यूज, अफवाह-नफरत फैलाने वाली सूचनाओं को रोकने के लिए आईपीसी में भी बदलाव किया जा सकता है। साइबर क्राइम को संभवत: सरकार सीधे-सीधे आईपीसी की धाराओं में जोडऩे की कवायद कर रही है।


अनिवार्य होगा सरकार का निर्देश मानना


सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज, चाइल्ड पोर्न, रंगभेद और आतंकवाद संबंधित कंटेंट के प्रसार को देखते हुए पूरी दुनिया में उनकी जिम्मेदारी तय करने की कोशिशें हो रही हैं। इसके लिए सोशल मीडिया से संबंधित नियम-कायदे बनाए जा रहे हैं, लेकिन भारत में बन रहा कानून इन सबसे विस्तृत है। इसके तहत सोशल मीडिया कंपनियों को सरकार का निर्देश मानना ही होगा और इसके लिए वारंट या अदालत के आदेश की अनिवार्यता भी नहीं होगी।


सितंबर, 2018 में जारी किया था मसौदा


भारत सरकार ने सोशल मीडिया से संबंधित दिशानिर्देश दिसंबर, 2018 में जारी किए थे और इस पर आम लोगों से सुझाव मांगे गए थे। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने नए प्रावधानों का विरोध करते हुए इन्हें निजता के अधिकार के खिलाफ बताया था, लेकिन जानकारी के मुताबिक सरकार इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं करने जा रही। प्रस्तावित कानून में सोशल मीडिया कंपनियों को सरकार के आदेश पर 72 घंटे के अंदर पोस्ट का मूल पता करने का प्रावधान किया गया था। उनके लिए कम से कम 180 दिन तक रिकॉर्ड सुरक्षित रखना भी अनिवार्य किया गया था। ये नियम उन सभी सोशल मीडिया कंपनियों के लिए हैं जिनके 50 लाख से ज्यादा यूजर हैं। भारत में करीब 50 करोड़ लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं, लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि विदेशी यूजर्स इस कानून के दायरे में आएंगे या नहीं।


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