शिमला। इंडियन डेमोक्रेटिक वूमन्स एसोसिएशन की अध्यक्ष और माकपा नेता सुभाषिनी अली ने गुरुवार को को शिमला में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि संसद में सीएए को पास हुए 70 से 72 दिन हो चुके हैं।
इस दौरान जितने दिन हुए उससे ज्यादा लोग कहीं न कहीं इसी संशोधन के मामले में अपनी जान गवां चुके हैं। ऐसे में इस मामले में विचार करने की जरूरत है कि ऐसा क्या है कि लोग इतने आक्रोशित हो रहे हैं। ये जितनी भी मौते हुई हैं वह उन्हीं राज्यों में हुई हैं जहां बीजेपी की सरकार है या बीजेपी के हाथ में पुलिस का नियंत्रण है। उन्होंने कहा कि हम इसका विरोध क्यों कर रहे हैं। हमारा विरोध दो बातों को लेकर है। पहला यह है कि इस सीएए ने हमारे संविधान की मूल भावना को ही बदल दिया है। हमारा संविधान कहता है कि हम भारत के लोगों ने अपने आपको यह संविधान दिया है। कोई हमसे यह छीन नहीं सकता है और उसमें स्पष्ट तौर पर लिखा है कि नागरिकता का धर्म से कोई संबंध नहीं है। सुभाषिनी अली ने कहा कि अगर जनता का एक बड़ा हिस्सा कुछ और सोच रहा है तो कम से कम आप यह समझने की कोशिश कीजिए कि आखिर वह ऐसा क्यों सोच रहा है। साथ ही उससे कुछ सीखने की कोशिश कीजिए। हमारे हिसाब से यही प्रजातंत्र है, लेकिन जो बीजेपी की सरकारें हैं, जो केंद्र की सरकार है वह इस लोकतांत्रिक विचार से अपने आपको बिलकुल अलग रखती है। उनको इस बात को कहने में गर्व है कि हम तो कुछ सुनेंगे नहीं और न ही पीछे नहीं हटेंगे। यह प्रजातंत्र में अच्छी बात नहीं है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.