रविवार, 15 मार्च 2020

'जनसंख्या नियंत्रण' को राष्ट्रपति की मंजूरी

नई दिल्ली। देश में संसाधन सीमित हैं लेकिन आबादी बेहद तेजी से बढ़ती जा रही है। हर साल बढ़ते बेरोजगारी के आंकड़े दर्शा रहे हैं कि हालात ऐसे ही रहे तो स्थिति कभी भी विस्फोटक हो सकती है। देखा जाये तो 1951 में भारत की आबादी 10 करोड़ 38 लाख थी जो साल 2011 में बढ़कर 121 करोड़ के पार पहुंच गयी और साल 2025 तक इसके बढ़कर 150 करोड़ के पार पहुंचने का अनुमान है। दरअसल जनसंख्या गुनांक में बढ़ती है जबकि संसाधनों में वृद्धि की दर बहुत धीमी होती है। वाकई अब समय आ गया है जब देश को जनसंख्या नियंत्रण कानून की सख्त जरूरत है।


इस दिशा में पूर्व में भी सांसदों ने कई प्रयास किये हैं, मंत्रियों ने बयान दिये हैं लेकिन अब एक गंभीर पहल के साथ आये हैं कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी। वह राज्यसभा में एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश करने जा रहे हैं जिसमें दो बच्चा नीति को लागू करने का प्रस्ताव किया गया है। सिंघवी का प्रस्ताव है कि दो बच्चा नीति को मानने वालों को प्रोत्साहन और ना मानने वालों को हतोत्साहित या सुविधाओं से वंचित किया जाना चाहिए। सिंघवी निजी आधार पर ‘हम दो हमारे दो’ नीति वाला जो विधेयक पेश करने जा रहे हैं उसको सदन में पेश करने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। अब देखना होगा कि सरकार का इस निजी विधेयक पर क्या रुख रहता है।


जहाँ तक अभिषेक मनु सिंघवी के Population Control Bill, 2020 की बात है तो इसमें प्रस्ताव किया गया है कि दो बच्चा नीति का पालन नहीं करने वालों को चुनाव लड़ने, सरकारी सेवाओं में प्रोन्नति लेने, सरकारी योजनाओं या सबसिडी का लाभ लेने, बीपीएल श्रेणी में सूचीबद्ध होने और समूह ‘क’ यानि Group A की नौकरियों के लिए आवेदन करने से रोका जाना चाहिए। विधेयक में यह भी प्रस्ताव किया गया है कि केंद्र सरकार को राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरीकरण फंड की स्थापना करनी चाहिए ताकि जो लोग दो बच्चा नीति का पालन करना चाहते हैं उनकी मदद की जा सके। इसके अलावा सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भनिरोधकों को उचित दर पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।


अभिषेक मनु सिंघवी का यह विधेयक यह भी प्रस्ताव करता है कि जिन दंपति का एक ही बच्चा है और उन्होंने अपनी नसबंदी भी करा ली है उन्हें सरकार की ओर से विशेष प्रोत्साहन दिये जाने चाहिए जैसे उनके बच्चे को उच्च शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में वरीयता दी जाये। ऐसे दंपति जो गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर कर रहे हैं यदि वह स्वतः ही नसबंदी करा लेते हैं तो केंद्र उन्हें एकमुश्त रकम के माध्यम से मदद करे जिसमें अगर उस दंपति का एक ही बच्चा अगर लड़का है तो उन्हें 60 हजार रुपये और यदि वह एक ही बच्चा लड़की है तो एक लाख रुपए दिये जाएं।


जहाँ तक विधेयक में दो बच्चा नीति का पालन नहीं करने वालों को हतोत्साहित करने की बात है तो सिंघवी का विधेयक प्रस्ताव करता है कि ऐसे दंपतियों पर लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, पंचायत और किसी भी निकाय का चुनाव लड़ने पर रोक लगा देनी चाहिए। उन्हें सरकारी सेवाओं में प्रमोशन नहीं देना चाहिए, केंद्र और राज्य सरकारों की ग्रुप ए की नौकरियों में आवेदन करने का हक नहीं होना चाहिए और यदि वह गरीबी रेखा से नीचे के हैं तो उन्हें कोई भी सरकारी सबसिडी नहीं मिलनी चाहिए।


यह विधेयक यह भी प्रस्ताव करता है कि इसके लागू होने के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों को लिखित में यह भी देना चाहिए कि वह दो बच्चा नीति का पूरी तरह से पालन करेंगे। जिन कर्मचारियों के पहले से ही दो से ज्यादा बच्चे हैं वह भी लिखित में यह देंगे कि वह अब और बच्चे नहीं पैदा करेंगे। केंद्र सरकार को भी नियुक्तियों के समय उन्हीं लोगों को वरीयता देनी चाहिए जिनके दो या उससे कम बच्चे हों। सरकारी कर्मचारियों के बच्चों में यदि कोई दिव्यांग है या कोई अन्य ऐसी परिस्थिति है कि तीसरा बच्चा आवश्यक है तो ही उसे विधेयक में प्रस्तावित किये गये नियमों के तहत छूट मिलेगी। विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि दो बच्चा नीति का पालन जो भी सरकारी कर्मचारी नहीं करेगा उसकी सेवाएं समाप्त भी की जा सकती हैं।


बहरहाल, सिंघवी उन कुछ नेताओं में शुमार हैं जो देश की बढ़ती जनसंख्या को लेकर चिंतित हैं और देश आगे जाकर विकट स्थिति में ना फँस जाये इसके लिए अभी से कोई उपचार चाहते हैं। संसद के वर्तमान बजट सत्र में ही भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग करते हुए इसे समय की जरूरत बताया और कहा कि वर्तमान में ही सभी को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना संभव नहीं हो रहा है जबकि जब आबादी 150 करोड़ के पार पहुंच जाएगी तब पीने का पानी मिलेगा ही नहीं। इससे पहले राज्यसभा में 7 फरवरी को शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव रखा और कहा कि सरकार के द्वारा छोटे परिवार को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। पिछले साल जुलाई में भाजपा के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने भी सदन में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया था। लोकसभा में भी यह मुद्दा कई बार उठ चुका है। पिछले साल नवंबर में भाजपा सांसद अजय भट्ट ने ‘छोटे परिवार को अपना कर जनसंख्या नियंत्रण’ बिल रखा था। 2016 में भी भाजपा के एक सांसद लोकसभा में जनसंख्या नियंत्रण पर प्राइवेट बिल लेकर आए थे।


बहरहाल, विश्व में आबादी के मामले में भारत अभी दूसरे नंबर पर खड़ा है और यदि तरक्की की रफ्तार यही रही तो जल्द ही हम चीन को पछाड़ देंगे। हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना देख रहे हैं और इसे लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ रहे हैं लेकिन यह तभी संभव है जब प्रति व्यक्ति आय बढ़े। देश की कुल आय से सही समृद्धि नहीं आयेगी हमें हर व्यक्ति को खुशहाल बनाना होगा और ऐसा तभी हो सकता है जब कल्याणकारी योजनाओं और देश के संसाधनों पर जनसंख्या का भारी बोझ नहीं हो। यह अच्छी बात है कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर देश की दो बड़ी पार्टियों के समान विचार हैं अब सरकार को भी चाहिए कि वह इस दिशा में आगे बढ़े।


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