मंगलवार, 3 मार्च 2020

अधिवक्ताओं का प्रदर्शन, कामकाज ठप

बरेली। उत्तर प्रदेश बार कौंसिल इलाहाबाद के आह्वान पर सोमवार को जनपद के सभी अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे। इसके बाद अधिवक्ता नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें रखीं। कहा कि न्यायालय की सुरक्षा को लेकर जो सीओपी कार्ड बनाए जा रहे हैं, उसमें बार कौंसिल द्वारा सीओपी कार्ड को मान्यता नहीं दी जा रही है।


बरेली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष घनश्याम शर्मा के नेतृत्व में अधिवक्तागण कलेक्ट्रेट पहुंचे। पांच सूत्रीय ज्ञापन सौंपते हुए सचिव अमर भारती ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश से जिला जज द्वारा अधिवक्ताओं को न्यायिक परिसर में प्रवेश के लिए अलग से परिचय पत्र जारी करने का कार्य किया जा रहा है। वह कौंसिल द्वारा जारी सीओपी कार्ड को मान्यता नहीं दे रहे हैं, जबकि सीओपी कार्ड उच्चतम न्यायालय द्वारा 23 अगस्त 2017 को अजयिंदर सांगवान व अन्य बनाम बार कौंसिल ऑफ दिल्ली व अन्य के मामले में अधिवक्ताओं को जारी किया गया है।


प्रदेश के अधिवक्ताओं के पास सीओपी कार्ड प्रदेश की बार कौंसिल द्वारा जारी किया गया है। यह कार्ड प्रत्येक प्रदेश में मान्य है। इस कार्ड को न मानने से अधिवक्ताओं में रोष है। विपरीत परिस्थितियां पैदा हो रही हैं। बार कौंसिल ने हाईकोर्ट को अधिवक्ताओं की कार्ड से संबंधित दिक्कतों से अवगत कराया था, जिस पर हाईकोर्ट ने बार कौंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश से हलफनामा देने के लिए कहा है।


अधिवक्ताओं को विभिन्न जिलों के अदालत परिसर में प्रवेश के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सचिव अमर भारती ने साफ किया कि सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बन रहे कार्ड को लेकर हमारा विरोध नहीं है लेकिन सीओपी कार्ड को न मानना सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना एवं बार कौंसिल की प्रतिष्ठा पर भी प्रश्न चिह्न लगा रहा है। उन्होंने सरकार की उदासीनता का जिक्र करते हुए कहा कि हर साल अधिवक्ताओं को जो 40 करोड़ रुपये मिलने थे वह भी नहीं मिल रहे हैं। अधिवक्ताओं की मृत्यु होने पर उनकी पत्नियों को पांच लाख रुपये दिए जाते थे, वह भी नहीं मिल रहे हैं। प्रदेश सरकार ने धन उपलब्ध ही नहीं कराया है। इससे उनके परिजन बार कौंसिल के चक्कर काट रहे हैं।


अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी कि अगर अधिवक्ताओं की समस्याओं की अनदेखी की जाती रही और मांगों को नहीं माना गया तो बार कौंसिल सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोलेगी। ज्ञापन देने वालों में उत्तर प्रदेश बार कौंसिल के सदस्य शिरीष मेहरोत्रा, अजय कुमार निम, शेर सिंह, धर्मवीर गुप्ता, रजत मोहन, जयपाल सिंह, संजय वर्मा, नूर आलम, पप्पू मौर्य आदि अधिवक्तागण मौजूद रहे।


16 मार्च से आंदोलन करेंगे अधिवक्ता
बार कौंसिल द्वारा आंदोलन करने का खाका भी तैयार किया जा चुका है। आगामी 16 मार्च को सेल्स टैक्स, इनकम टैक्स, रेवेन्यू कोर्ट के अधिवक्ता आंदोलन करेंगे। 23 मार्च को फिर सभी अधिवक्ता तहसील, उपजिला मुख्यालय पर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करेंगे। 30 मार्च को सरकार का पुतला प्रदेश के सभी जनपदों में जलाया जाएगा। 15 अप्रैल को विधान सभा का घेराव अधिवक्ता पूर्ण डेªस में करेंगे।


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